भारत में भी है ‘सिल्क रूट टूरिज़्म’ का मजामध्यकालीन व्यापारिक गतिविधियों की रोचक और साहसिक कथाएँ सिल्क रूट या रेशम मार्ग में बिखरी पड़ी हैं। सिल्क रूट का सबसे चर्चित हिस्सा, यानि उत्तरी रेशम मार्ग 6500 किलोमीटर लंबा है। दुनिया-भर में बदलती स्थितियों के कारण स...
शयोक! तुम्हें पढ़ा जाना अभी शेष है...कहते हैं, पहाड़ी नदियाँ बड़ी शोख़ होती हैं, चंचल होती हैं। लहराना, बल खा-खाकर चलना ऐसा, कि ‘आधी दुनिया’ को भी इन्हीं से यह हुनर सीखना पड़े। पहाड़ी नदियाँ तो बेशक ऐसी ही होती हैं, मगर कभी हिमानियों से अपना रूप और आकार...
पंच-धकारी एक शहर की कथा-यात्रासंस्कृत विद्वानों के खर्राटे लय-ताल बाँधकर चल रहे थे। एक घंटे बाद अतर्रा स्टेशन आया। अमित दम साधे बैठा रहा। यह क्षेत्र बदमाशी के लिए बदनाम है। अतर्रा, बाँदा, मऊ आदि स्टेशनों के पास लूटपाट की घटनाएँ होती रहती हैं। बदमाश डिब्बों में घुसक...
बुंदेलखंड से सूरीनाम तक की यात्रा-कथा(एक गिरमिटिया की गौरवगाथा)अगर यह पता चले, कि रामलीला देखने का शौक भी किसी के लिए मुसीबत का सबब बन सकता है, और रामलीला देखने के लिए जाना ही किसी व्यक्ति के जीवन में ऐसी ‘रामलीला’ का रूप ले सकता है, कि चौदह वर्षों के बजाय जीवन-भर...
फूलबाग नौचौक में बैठे राजा राम...मधुकरशाह महाराज की रानी कुँवरि गणेश ।अवधपुरी से ओरछा लाई अवध नरेश ।।सात धार सरजू बहै नगर ओरछा धाम ।फूल बाग नौचौक में बैठे राजा राम ।।तुंगारैन प्रसिद्ध है नीर भरे भरपूर ।वेत्रवती गंगा बहै पातक हरै जरूर ।।राजा अवध नरेश को सिंहासन दरबा...
लोसर : परंपरा और संस्कृति का पर्वलदाख अंचल को उसकी अनूठी संस्कृति और धार्मिक परंपराओं से जाना जाता है। लदाख के बारे में ह्वेनसांग, हेरोडोट्स, नोचुर्स, मेगस्थनीज, प्लीनी और टॉलमी जैसे यात्रियों ने बताया है। इससे लदाख के अतीत का पता चलता है। किसी भी क्षेत्र के अतीत क...
सप्तकल्पक्षये क्षीणे न मृता तेन नर्मदासप्तकल्पक्षये क्षीणे न मृता तेन नर्मदा ।नर्मदैकैव राजेन्द्र परं तिष्ठेत...
बळिहारी उण देस री, माथा मोल बिकाय ।धव धावाँ छकिया धणाँ, हेली आवै दीठ ।मारगियो कँकू वरण, लीलौ रंग मजीठ ।।नहँ पड़ोस कायर नराँ, हेली वास सुहाय ।बलिहारी उण देस री, माथा मोल बिकाय ।।घोड़ै चढ़णौ ...
बलखङ चौक से दीवानों की गली तकआज न जाने क्यों धरती के उस निहायत छोटे-से टुकड़े पर लिखने के लिए कलम उठ गई। धरती का वह टुकड़ा, जो इतना छोटा-सा है, कि कुल जमा दो-सवा दो सौ कदमों से नापा जा सकता है। अगर कोई यह समझ बैठे, कि इन दो सौ-सवा दो सौ कदमों को वह ज्यादा से ज्यादा...
पुस्तक समीक्षा राम कौन ? : चिंतन के वर्तमान का नया आयामइक्ष्वाकु कुलभूषण, सूर्य...