ब्लॉगसेतु

भारत ऋतुओं का देश है, जहां प्रकृति का वैविध्यपूर्ण सौंदर्य बिखरा पड़ा है। यही कारण है, कि फूलों का देश जापान को छोड़कर आने की दु: खद स्मृति हाइकु काव्य को कभी अक्रांत नहीं कर पाई। वह इस देश को भी  अपने घर की मानिंद महसूस करती रही। यही कारण है कि हिन्दी साहित्य...
(एक)भागते बच्चेहवा से होड़ लेकेबदहवास।(दो)रार ठानूंगाजाऊंगा शिखर पेमैं न मानूंगा ।(तीन)उम्मीद रखसमर को जीतकेआना है तुम्हे।(चार)पीठ पे बस्ताबोझ से दबा बच्चाकैसे पढ़ेगा ?(पांच)पढ़ेगी बेटीदुनिया जहान मेंबढ़ेगी बेटी।(छ:)आत्मबल सेउन्नत शिखर पेचढ़ेगी बेटी।(सात)जहां जाएगी...
 पोस्ट लेवल : कविता एक नयी पहल
भारतीय संस्कृति में गर्भ धारण से लेकर मृत्यू प्रयन्त 16 संस्कारों की अवधारणा पायी जाती है। इन सभी संस्कारों का आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक आधार भी है। प्राचीन काल में ज्ञान, संस्कृति, सभ्यता तथा सिद्धांतों को लिपिबद्ध नहीं किया जा सका अथवा वह कालान्तर में कहीं खो गया।...
 पोस्ट लेवल : ब्लॉगोत्सव-२०१४
फिल्मों की दीवानगी के दौर में कई साल पहले एक बार प्रख्यात गायिका लता मंगेशकर मेरे जिला मुख्यालय में कार्यक्रम देने आई, तो मेरे शहर के काफी लोग भी बाकायदा टिकट लेकर वहां कार्यक्रम देखने गए। लेकिन उनसे एक गड़बड़ हो गई। तब नामचीन कलाकारों के लिए किसी कार्यक्रम में...
 पोस्ट लेवल : विवाद
ब्लॉगोत्सव-२०१४ में तृतीय दिवस का कार्यक्रम  दिनांक: 04.06.2014 सुबह 10.00 बजे: अली सैय्यद और उनकी उम्मतें (ब्लॉग: परिकल्पना पर) अपराहन 12.00 बजे : रवीद्र प्रभात की दशकीय ब्लॉग यात्रा का प्रथम अंश (ब्लॉग: ब्लॉग परिक्रमा पर) ...
 पोस्ट लेवल : ब्लॉगोत्सव-२०१४
स्वागत है आप सभी का ब्लॉगोत्सव-२०१४ के प्रथम दिवस के अज़ब-गजब कार्यक्रम मेंमानव के आविष्कारों के इतिहास में बहुत सारे आविष्कार देखने को मिले हैं, जो देखने में उपयोगी नहीं होता, हालांकि इन सभी आविष्कारों पर अधिक श्रम शक्तियों और भौतिक-शक्तियों का खर्च हुआ था, फि...
 पोस्ट लेवल : ब्लॉगोत्सव-२०१४
स्वागत है आप सभी का ब्लॉगोत्सव-२०१४ के प्रथम दिवस के अज़ब-गजब कार्यक्रम मेंदुनिया अनोखी जगह है क्योंकि यह इन्सानों से भरी है। और उन इन्सानों में भी कुछ तो अलग ही अनोखे हैं। आज हम दिखाने जा रहे  है कुछ ऐसे वर्ल्ड रिकॉर्ड जिसे देखने के बाद आप कह उठेंगे- क्या...
 पोस्ट लेवल : ब्लॉगोत्सव-२०१४
     कुछ दिन पहले एक विवाहोत्सव में जाना हुआ। भव्य आयोजन था। खाना शुरू करने से पहले हाथ धोने के लिए पानी की तलाश की लेकिन कहीं पर भी पानी नहीं रखा गया था जहाँ सुविधापूर्वक हाथ धोए जा सकें। सब कुछ था सिवाय पानी के। पानी कहीं किसी जग या टंकी में उपलब्ध...
स्मृति शेष (मृत्यु 17 जनवरी )      फिल्मों की दुनिया बड़ी  निराली होती है। ग्लैमर, चकाचैंध और शोहरत से भरपूर। नायक-नायिका जब परदे पर किसी  किरदार को जीवंत करते हैं तो न जाने कितने लोग उनके साथ अपने को एकाकार कर लेते हैं। पर वक्त के साथ...
अभी हाल ही में मेरा एक उपन्यास आया है ताकि बचा रहे लोकतंत्र जिसकी यत्र -तत्र-सर्वत्र चर्चा हो रही है इसी चर्चा के क्रम में आज दैनिक जनासंदेश टाइम्स में पढ़िए -शिवानी श्रीवास्तव की वेवाक राय इस पुस्तक के सन्दर्भ में......