नवगीत:संजीव 'सलिल' मैं लड़ूँगा.....लाख दागो गोलियाँसर छेद दोमैं नहीं बस्ता तजूँगा।गया विद्यालयन वापिस लौट पायातो गए तुम जीतयह किंचित न सोचो,भोर होते ही उठाकरफिर नये बस्ते हजारोंमैं बढूँगा।मैं लड़ूँगा.....खून की नदियाँ बहीं उसमें नहाहर्फ़-हिज्जे फिर पढ़ूँगा।कसम रब की है...
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नवगीत आओ! तनिक बदलें *प्रिय! मिलन, सहकार के नवगीत कुछ रच लें। *सिर्फ स्यापा ही नहीं, मुस्कान भी सच है। दर्द-पीड़ा है अगर, मृदु हास भी सच है।। है विसंगति अगर तो संगति छिपी उसमें-सम्हल कर चलते चलें,लड़कर नहीं फसलें।।समय है बदलाव का,आओ! तनिक बदलें। प्रिय! मिलन, सहक...
राष्ट्र निर्माता सरदार पटेल जन्म- ३१.१०.१८७५, नाडियाद, बंबई रेसीड़ेंसी (अब गुजरात), आत्मज- लाड बाई-झबेर भाई पटेल, पत्नी- झबेर बा, भाई- विट्ठल भाई पटेल, शिक्षा- विधि स्नातक १९१३, पुत्री- मणि बेन पटेल, पुत्र- दया भाई पटेल, निधन- १५ दिसंबर १९५०। १९१७- सेक्रेटरी गु...
गीत -भूमि मन में बसी आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'*भूमि मन में बसी ही हमेशा रहे *पाँच माताएँ हैंएक पैदा करे दूसरी भूमि पर पैर मैंने धरे दूध गौ का पिया पुष्ट तन तब वरे बोल भाषा बढ़े मूल्य गहकर खरे वंदना भारती माँ न ओझल करे धन्य सन्तान शीश पर कर वरद यदि रहे भूम...
नवगीत-आँगन टेढ़ाआचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' *आँगन टेढ़ा नाच न आये *अपनी-अपनी चाल चल रहे खुद को खुद ही अरे! छल रहे जो सोये ही नहीं जान लो उन नयनों में स्वप्न पल रहेसच वह ही जो हमें सुहाये आँगन टेढ़ा नाच न आये *हिम-पर्वत ही आज जल रहे अग्नि-पुंज आहत पिघल रहे जो नितांत अपने...
नवगीत:परीक्षा *किसकी कौन परीक्षा लेता?*यह सोचे मैं पढ़कर आया वह कहता है गलत बताया दोनों हैं पुस्तक के कैदी क्या जानें क्या खोया-पाया?उसका ही जीवन है सार्थकबिन माँगे भी जो कुछ देता किसकी कौन परीक्षा लेता?*सोच रहा यह नित कुछ देता लेकिन क्या वह सचमुच लेता?कौन बताएं?, क...
नवगीत:अपनी ढपली*अपनी ढपलीअपना राग*ये दो दूनी तीन बतायेंपाँच कहें वे बाँह चढ़ायेंचार न मानें ये, वे कोईपार किसी से कैसे पायें?कोयल प्रबंधित हारी हैकागा गायेबेसुर फागअपनी ढपलीअपना राग*अचल न पर्वत, सचल हुआ हैतजे न पिंजरा, अचल सुआ हैसमता रही विषमता बोतीखेलें कहकर व्यर्थ...
कृति चर्चा: बाँसों के झुरमुट से : मर्मस्पर्शी नवगीत संग्रह चर्चाकार: आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' *[कृति विवरण: बाँसों के झुरमुट से, नवगीत संग्रह, ब्रजेश श्रीवास्तव, आकार डिमाई, आवरण बहुरंगी लैमिनेटेड जैकेटयुक्त सजिल्द, पृष्ठ ११२, २५०/-, उत्तरायण प्रकाशन लखन...
कृति चर्चा: एक और अरण्य काल : समकालिक नवगीतों का कलश आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'[कृति विवरण: एक और अरण्य काल, नवगीत संग्रह, निर्मल शुक्ल, आकार डिमाई, आवरण बहुरंगी लैमिनेटेड जैकेटयुक्त सजिल्द, पृष्ठ ७२, १५०/-, उत्तरायण प्रकाशन लखनऊ]*हर युग का साहित्य अपने काल की...