आज की सुबह ऐसे ही जब निकल पड़े थे ड्राइव पर - दिसम्बर की एक सुबह आज महीनो बाद ब्लॉग पर वापस आना हुआ है. आखिरी पोस्ट इस ब्लॉग पर मार्च की थी, और तब से लेकर अब तक इस ब्लॉग को लगभग भूल चुका था मैं. ये लॉकडाउन और कोरोना ने ऐसा कहर बरपा रखा है सब की ज़िन्दगी मे...
Image: Team BHPपिछली पोस्ट में आपने पढ़ा कि कैसे मुझे ज़माने बाद साइकिल चलाने को मिली. जिनके वजह से साइकिल चलाने को मिली, उनके साथ बड़े देर तक साइकिल पर चर्चा होती रही. कुछ पुरानी बातें याद आयीं, तो सोचा क्यों न उन बातों को यहाँ सहेज लिया जाए..मेरे ख्याल से मेरे साथ उ...
मार्च का महिना है, गर्मी अभी पूरे रंग में आई नहीं है. थोड़ा वसंत का ही माहौल चल रहा है पटना में. ऐसे में एक दिन एक मित्र(हालाँकि उम्र में वो बहुत बड़े हैं, लेकिन रिश्ता मित्र सा ही है) के यहाँ आ गए थे. मकसद तो एक जरूरी काम था लेकिन वहाँ उनके लॉन में बहुत देर बैठना हो...
मार्च की शाम है..सर्दियां बहुत पहले चली गयी हैं। घरों में पंखे खुल गए हैं। हालांकि एयरकंडीशन नही चालू हुए हैं. ये ठीक भी है... मौसम को अपना लिहाज तो करना चाहिए न. होली के बाद ही गर्मी अपने पूरे शबाब पर होती है और होली अभी पंद्रह दिन दूर है, ऐसे में एयर कंडीशन...
देर रात तक जागे रहने के बाद नींद नहीं आती...बचपन में किसी से सुना था कि एक समय होता है जब हमें सबसे ज्यादा नींद आती है, अगर उस पहर आप सोये नहीं तो पूरी रात जागे रहेंगे. कोई परिचित थे, उन्होंने कहा था कि उन्हें एक से डेढ़ बजे सबसे ज्यादा नींद आती है लेकिन अगर वो...
सर्दियाँ चली जाती हैं तब बहुत कुछ याद आता है. कितनी कहानियाँ लिखनी थी, सर्दियों की कहानी, दिसम्बर और जनवरी के गुनगुनी धुप की कहानी. ना जाने कितने सारे ड्राफ्ट्स पड़े हैं यूहीं आधे अधूरे से. हर साल अक्टूबर में जब मौसम के बदलने की आहट मिलती है तो सोचता हूँ कितने काम ह...
नया साल आ गया है, लेकिन यह नया साल मेरे लिए ही नहीं बल्कि सभी के लिए ख़ास सा है.. पिछला साल जितना बेदर्द रहा, जितना तकलीफदेह रहा, सब उस साल से पीछा छुड़ाने की कामना कर रहे थे. व्यग्तिगत तौर पर मेरे लिए भी बीता साल बहुत से बुरे ख़बरों को साथ लेकर आया था. एक तो काम...
बड़े ज़माने बाद आज का दिन सुहाना सा लगा. शायद मार्च के बाद दिन भर की पहली आउटिंग थी ये हमारी. वैसे तो पिछले कुछ दिनों से पब्लिक प्लेसेस पर लोग जामा हो रहे थे और घूम रहे थे लेकिन हम अब तक सोच रहे थे कि ऐसे घूमना फिरना अच्छा रहेगा या नहीं. लेकिन आख़िरकार छः दिसम्बर के स...
महक बहुत अजीब होती है. नास्टैल्जिया लिए हुए अक्सर. हवाओं में सर्दियीं वाली खुशबु महसूस होने लगी है. घर में हूँ, पटना में... और पुराने अटैची से जाड़ो के कपड़े, रजाई निकाल लिए गए हैं... सूटकेस में बंद जाड़ों के कपड़ों से बड़ी अनोखी महक आती है, बहुत कुछ याद दिलाती है. बशी...
पर्व त्यौहार तो इस साल क्या मानेंगे, कितनों के घरों से ख़राब ख़बरें मिल रही हैं. इस साल मेरा घर भी इस बुरे ख़बरों के साया से बच न सका और एक महीने के ही अन्दर परिवार में दो लोगों के सदा के लिए चले जाने की खबर ने सबको मायूस कर दिया. सोचा तो था कि इस साल पर्व त्यौहा...