भूपेंद्र अबोध मेरे लिए एक मिथकीय पुरुष थे. मनोहर श्याम जोशी सबसे अधिक किस्से उनके ही सुनाते थे. जो सबसे बड़ा किस्सा था वह ‘कजरी’ फिल्म बनाने का था. पटना की एक तवायफ की संभ्रांत स्त्री बन जाने की एक कहानी के ऊपर ‘कजरी’ नामक फिल्म बनाने के लिए उन्होंने उस ज़माने में कई...
हम जानकी पुल वाले अक्सर देर लेट हो जाते हैं. मेरे प्रिय कवि रघुवीर सहाय का जन्मदिन कल था यह लेख आज लगा रहे है. मेरी प्रिय लेखिकाओं में एक कविता ने लिखा है. आजादी के बाद हिंदी कविता को जितना बड़ा मुहावरा रघवीर सहाय ने दिया शायद किसी कवि ने नहीं दिया. यह मेरा अपना मत...
इधर विमुद्रीकरण को विकास की कुंजी बताया जा रहा है. कैशलेश होने की बात की जा रही है. व्यंग्यकार-डॉक्टर प्रवीण कुमार झा प्रस्तावित कर रहे हैं कि Declothisation(विवस्त्रीकरण) ही विकास की कुंजी है. पढ़ा जाए- मॉडरेटर ===========================विदेशों के स्नाना...
शालिनी श्रीनेत्र आजकल कुछ सच्चे किरदारों से मिलकर उनकी उनके बारे में लिख रही हैं जिनका जीवन अपने आप में कम अफसाना नहीं रहा. ऐसी ही एक कहानी एक लोक-कलाकार और एक चित्रकार, सिरेमिक कलाकार की प्रेम कहानी आज प्रस्तुत है- मॉडरेटर ====================================...
पंकज दुबे अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं में समान रूप से दक्ष लेखक हैं लेकिन कोरिया की पृष्ठभूमि की यह कहानी उन्होंने अंग्रेजी में लिखी थी, जिसका अनुवाद लेखिका दिव्या विजय ने किया है. कहानी और अनुवाद दोनों का आनंद लीजिये- मॉडरेटर =============किम्चीउसने अपने नाम से...
आज मार्केज़ की इस कहानी की याद आ गई. कुछ साल पहले इसका अनुवाद अपर्णा मनोज ने किया था. कैसे यथार्थ जादुई हो जाता है इसके लिए पढ़िए- मॉडरेटर --------------------------------------------------------------------------------दुनिया के तमाम लामजहब लोगों के लिए बडम्मा क...
आजकल के माहौल में अचानक मार्केज़ की यह कहानी याद आ गई. मूल स्पैनिश भाषा से अनुवाद किया है युवा कवि-लेखक श्रीकांत दुबे. बहुत छोटी सी कहानी है. पढ़कर बताइयेगा कि यह समकालीन माहौल से कितनी मिलती जुलती है- मॉडरेटर ================एक बहुत छोटे से गाँव की सोचिए जहाँ ए...
कमलजीत चौधरी जम्मू कश्मीर के साम्बा में रहते हैं और अपने देश पर कविताएँ लिखते हैं. इसमें कोई संदेह नहीं कि हाल के वर्षों में अपनी कविताओं से उन्होंने हिंदी कविताओं के विस्तृत संसार में अपनी ठोस पहचान बनाई है. उनका कविता संग्रह आया था 'हिंदी का नमक', जिसकी कविताओं क...
मातृभाषा में शिक्षा के सम्बन्ध में बांगला भाषा में अमिताभ देव चौधुरी का बहुत ही विद्वत्तापूर्ण लेख आया था. जिसका अनुवाद करके हमें भेजा गंगानंद झा जी ने. आप भी पढ़िए- मॉडरेटर =================================================== ...
नीरज पाण्डेय की कविताओं का स्वर समकालीन कविताओं में सबसे अलग है. इसीलिए वे मेरे पसंदीदा कवियों में एक हैं. बहुत कम लिखते हैं लेकिन जैसे आत्मा की स्याही से लिखते हैं. कविताओं को यही 'आत्म' विश्वसनीय बनाता है. आज उनकी छः नई कविताएँ- प्रभात रंजन १.क्रांतिदो पत्थर...