लेखक, पत्रकार, फिल्म लेखक, निर्देशक ख्वाजा अहमद अब्बास की यह जन्मशताब्दी का साल है. इस मौके पर आज प्रस्तुत है उनकी एक कहानी ‘Red and Yellow’ का हिंदी अनुवाद. अनुवाद किया है सैयद एस. तौहीद ने- मॉडरेटर.======कमरे की चारों दीवार पर तस्वीरें टंगी हुई थी। कृष्ण गोप...
अभी दो दिन पहले लेखिका नीलेश रघुवंशी को शैलप्रिया स्मृति सम्मान दिए जाने की घोषणा हुई है. 2012 में उनका उपन्यास प्रकाशित हुआ था 'एक कस्बे के नोट्स'. प्रसिद्ध आलोचक रोहिणी अग्रवाल ने उस उपन्यास पर बहुत अच्छा लेख लिखा है. आप भी पढ़िए और उनको बधाई दीजिए- मॉडरेटर.=...
हाल में आई फिल्म मेरी कॉम पर यह लेख लिखा है चर्चित लेखिका अनु सिंह चौधरी ने. जब फिल्म पर लिखते हुए व्यावसायिकता का दबाव नहीं होता है तो ऐसी ही संतुलित, आत्मीय समीक्षा लिखी जा सकती है, जिसमें फिल्म, जीवन के अनेक पहलू अपने आप उद्घाटित होते चले जाते हैं. बहुत सहजता के...
नीलेश रघुवंशी जानी-मानी कवयित्री हैं और 2012 में प्रकाशित उनके उपन्यास 'एक कस्बे के नोट्स' की काफी चर्चा हुई थी. उनको जानकी पुल की ओर से 'शैलप्रिया स्मृति सम्मान' की बधाई- मॉडरेटर.==========================================================शैलप्रिया स्मृति न्यास की ओ...
किसे ख़बर थी कनेडियाई अदाकारा—पामेला एंडरसन—ज़िंदगी के कई रंगों में नहाने के बाद, हाल में ही दूसरी बार तलाक के बाद कविता की ओट में आ खड़ी होगी। हाल में पामेला ने एक लम्बी कविता लिखी है, जिसमें जीवन का भोगा हुआ यथार्थ और सच का नंगा सियाह रूप दिखाई देता है। जिसमें एक और...
मुक्तिबोध आधुनिक हिंदी कविता के गुरु हैं. आज उनकी कविता 'अँधेरे में' पर लिखा यह आत्मीय लेख पढ़ते हैं. लिखा है विदुषी कवयित्री सविता सिंह ने- मॉडरेटर.====================================जब मैं कविता लिखने लगी अँधेरा मेरे लिए रहस्य नहीं रह गया। अकसर रात में ही लिखती।...
अभी कुछ दिन पहले ही 30 अगस्त को हिंदी सिनेमा के अमर गीतकार शैलेन्द्र की जयंती थी. उनका और राज कपूर का रिश्ता अटूट माना जाता था. फिल्म समीक्षक सैयद एस. तौहीद ने इसी बात की याद दिलाने के लिए यह सौगात भेजी है हम पाठकों के लिए कि राज कपूर ने शैलेन्द्र के मरने पर क्या क...
उमेश कुमार सिंह चौहान हिंदी के समर्थ कवि ही नहीं हैं, वे हिंदी के उन दुर्लभ लोगों में हैं जिन्होंने अन्य भारतीय भाषाओं और हिंदी के बीच पुल बनाया है. मलयालम साहित्य की समृद्ध परंपरा का ज्ञान हम हिंदी वालों को अगर थोड़ा बहुत है तो उसमें बहुत बड़ा योगदान उमेश जी का भी ह...
'लव जेहाद' के बहाने ये कविताएं लिखी जरूर गई हैं मगर ये प्रेम की कवितायेँ हैं, उस प्रेम की जिसके लिए भक्त कवि 'शीश उतार कर भूईं धरि' की बात कह गए हैं. ये कवितायेँ प्रासंगिक भी हैं और शाश्वत भी. प्रियदर्शन की कविताई की यह खासियत है कि वे नितांत समसामयिक लगने वाले प्र...
आज प्रसिद्ध इतिहासकार बिपिन चन्द्रा को श्रद्धांजलि देते हुए प्रोफ़ेसर राजीव लोचन ने 'दैनिक हिन्दुस्तान' में बहुत अच्छा लेख लिखा है. जिन्होंने न पढ़ा हो उनके लिए- मॉडरेटर =============================================पिछले 50 साल में शायद ही इतिहास का कोई ऐसा छात्...