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गीताश्री मेरी बड़ी बहन हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उनके लिखे को भी मैं उसी तरह से देखता हूँ. बल्कि उनकी कई चर्चित कहानियों का मैं घनघोर आलोचक रहा हूँ. बहरहाल, जो बात उनकी कहानियों के सन्दर्भ में रेखांकित किये जाने के लायक है वह यह है कि उन्होंने लगातार अपने मु...
 पोस्ट लेवल : geetashree गीताश्री
उत्तर आधुनिकता के प्रमुख व्याख्याकारों, लेखकों में अम्बर्तो इको का नाम बहुत प्रमुखता से लिया जाता है. उनके ऊपर यह लेख विजय शर्मा ने लिखा है- मॉडरेटर कुछ साल पहले एक फ़िल्म देख रही थी। खूब मजा आ रहा था। अपराध, हत्याएँ, रहस्य, जासूसी, भला किसे अच्छा न लगेगा? भूल...
बहुत दिनों से जानकी पुल पर कविताएँ नहीं लगाईं थी. आज एक दुर्लभ कवि राकेश श्रीमाल की कुछ कविताएँ. वे हिंदी कविता की किसी होड़ में नहीं हैं, सफलता के किसी मुहावरे को उन्होंने नहीं अपनाया. बरसों से कविताएँ लिख रहे हैं और अपने मुहावरे में लिख रहे हैं- मॉडरेटर =====...
 पोस्ट लेवल : राकेश श्रीमाल rakesh sreemal
आजकल अजब माहौल है. लोग बात बात में 'देश' की बात करने लगते हैं. कहने लगते हैं देश से बड़ा कुछ नहीं होता. एक बार ऐसे ही मेरे अपने 'देस' के नंदन ठाकुर के ऊपर यह धुन सवार हो गई थी कि वे दिल्ली जायेंगे देश को देखेंगे.  अपनी ही एक कहानी याद आ गई. 'समालोचन' पर काफी पह...
 पोस्ट लेवल : प्रभात रंजन prabhat ranjan
नॉर्वे प्रवासी मिथिलावासी डॉक्टर व्यंग्यकार प्रवीण कुमार झा के 'कक्का' इस बार क्रांति के मूड में लौट आए हैं. पढ़िए- मॉडरेटर ===================सुबह उठा तो बर्फ की चद्दर बिछी पड़ी थी। पूरी रात बस बर्फ गिरती रही शायद। पहाड़ों में जैसे जान आ गई। यह मनोरम दृश्य निह...
अलका सरावगी मेरी सबसे प्रिय लेखिकाओं में हैं. उनका हर उपन्यास जीवन को, समाज को समझने की एक नई खिड़की खोलता है. हर बात वही चिर परिचित किस्सागोई, वही कोलकाता लेकिन लेकिन एक नई छवि. समकालीन लेखकों में ऐसा किस्सागो दूसरा नहीं. फिलहाल उनके नए उपन्यास का अंश. अंश से ही लग...
 पोस्ट लेवल : alka saraogi अलका सरावगी
आज कल सेना, सैनिक, शहादत की बड़ी चर्चा है. लेकिन क्या कोई यह सोचता है सैनिक मन में क्या चाहता है? महान ब्रिटिश गायक पिंक फ्लॉयड का गाया एक मशहूर गीत है 'द गनर्स ड्रीम'. उस गीत का बहुत सुन्दर अनुवाद स्वप्निलकान्त दीक्षित ने किया है. स्वप्निल ने अभी कुछ दिन पहले बॉब ड...
एजाज अहमद का नाम 90 के दशक में थ्योरी, आलोचना के सन्दर्भ में खूब लिया जाता था. आजकल गंभीर विमर्शों, आलोचना से नई पीढ़ी विमुख हो रही है. लेकिन वैभव सिंह का लेखन इसका अपवाद है. वे लगातार गंभीर लेखाकं कर रहे हैं और हिंदी आलोचना को समृद्ध कर रहे हैं. उनका यह लेख एजाज़ अह...
उपासना झा ने हाल के दिनों में कविता, अनुवाद जैसे क्षेत्रों में अपनी जबर्दस्त रचनात्मक पहचान दर्ज करवाई है. आज उनकी नई कहानी 'महुआ घटवारिन'- मॉडरेटर ======================================दूरी रे गबनमा से ऐलनी सुंदर दूल्हा,ऐलनी सुन्दर दूल्हा...द्वार पीछे भय गेलन...
 पोस्ट लेवल : upasana jha उपासना झा
चीनी सामानों के बहिष्कार की देशभक्ति का दौर है, दीवाली आ गई है मन मेन ऊहापोह है बिजली के चीनी झालर लगाएँ या न लगाएँ, न लगाएँ तो क्या लगाएँ? इसी ऊहापोह के दौर में बहुत दिनों बाद सदफ़ नाज़ अपने नए व्यंग्य के साथ लौटी हैं। पढ़िये- मॉडरेटर ===========================...
 पोस्ट लेवल : sadaf naaz सदफ़ नाज़