ब्लॉगसेतु

अबिरहा सम्राट पद्मश्री हीरालाल यादव के तैल चित्र व 'नागरी' पत्रिका का लोकार्पण [साहित्य समाचार]  लोकगीतों में बिरहा को विधा के तौर पर हीरालाल यादव ने दिलाई पहचान - पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव भारतीय संस्कृति में लोकचेतना का बहुत महत्त्व है और लोकगायक इस...
भूख [लघुकथा] – मनोज शर्मा दिन कितना हरा भरा था पर शाम होते होते सबकुछ धुंधला अस्पष्ट सा नज़र आने लगा। घर के बाहर बल्ब की मद्धिम रोशनी कुछ दूर जल रहे होलिजन लाइट में कहीं गुम हो रही थी। गली के एक कोने में दो तीन कुत्तों के भौंकने की आवाज़ हुई जिसको सुनकर और कुत्ते भ...
सुबह अब होती है... तथा अन्य नाटक [पुस्तक चर्चा] – पंकज सोनी पुस्तक - सुबह अब होती है... तथा अन्य नाटककहानीकार- पंकज सुबीर, नाट्य रूपांतरण- नीरज गोस्वामीप्रकाशन : शिवना प्रकाशन, पी. सी. लैब, सम्राट कॉम्प्लैक्स बेसमेंट, सीहोर, मप्र, 466001, दूरभाष- 07562405545 प्रकाश...
पीली रोशनी का समंदर [कहानी]-विपिन पवार  लाल, पीला, दोहरा पीला, हरा – सिगनलों के यही रंग तो उसे साथ देते हैं रात के घने अंधियारे में । जब नामदेव अकेला चमड़े की बड़ी-सी थैली में 10 पटाखों से भरा एक डिब्‍बा, एक हाथ सिगनल बत्‍ती, टार्च, माचिस रखकर, कमीज की ऊपरी जे...
जिंदगी और अन्य कवितायें - विनय भारत शर्मा ज़िन्दगी उछलती, मचलती,गडमडातीसाथ चलकर फडफ़ड़ाती,दुख- सुख, दर्द सुकूनहिस्सों में बटकरकहीं भटककररास्ते परबढ़ती गाड़ी ज़िन्दगी गुमनाम है।** समस्या मैं एक दिन चिंता में डूबा हुआ था,चिंता मुझे खा रही थीया मैं चिंता को ये समझ रहा था...
किसान आंदोलन की आड में [आलेख] – डॉ. सत्यवान सौरभकिसान आंदोलन की आड़ में 26 जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जो कुछ भी हुआ है उसे जायज नहीं करार दिया जा सकता है. कृषि कानूनों के विरोध में गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों का ट्रैक्टर मार्च  हिंसक हो गया. कई...
पूर्वाग्रह (तास्सुब) [अनुवाद स्तम्भ ] - उर्दू से हिंदी अनुवाद मूल लेखक :- सर सैयद अहमद खान, अनुवाद - मनजीत भावड़िया मानव लक्षणों में, पूर्वाग्रह सबसे बुरे में से एक है। यह एक ऐसा अपमान है जो मनुष्य की सभी अच्छाइयों और उसके सभी गुणों को नष्ट और नष्ट कर देता है...
आज हमारे लिए बड़े सौभाग्य की बात है की हमें हर साल 26 जनवरी को गणतन्त्र  दिवस मनाने का मौका मिलता है| हर साल की तरह इस साल भी सभी को इस दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाए व इस दिवस पर पेश है मेरे नई बाल कविता "मेरे सपनों का भारत "    मेरे सपनों...
अजब रहा है यह कोरोनाकाल। शहर-दर-शहर सन्नाटे के जंगल बनते जा रहे थे और हरे भरे वन गुलजार। आदमी घर के भीतर कैद रहने के लिये बाध्य, जबकि पशु-पक्षी मानो जश्न-ए-आजादी मना रहे थे। कठिन लॉकडाउन के दिनों में घर की खिडकी खोल, जरा सलाखों से बाहर तो देखने पर अहसास होता था कि...
1 जनवरी से केरल, कर्नाटक और असम के स्‍कूलों को दोबारा से खोला गया है। बिहार सरकार के आदेशानुसार 4 जनवरी 2021 से राज्य भर के सभी सरकारी स्कूलों और कोचिंग सेंटरों को खोल दिया जाएगा। महाराष्ट्र में 9वीं से 12 वीं कक्षा के छात्रों के लिए 4 जनवरी से स्‍कूलों को खोला जाए...
 पोस्ट लेवल : प्रियंका सौरभ आलेख