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लेखक : प्रदीप  आर्यभट प्राचीन भारत के सर्वाधिक प्रतिभासंपन्न गणितज्ञ-ज्योतिषी थे। वर्तमान में पाश्चात्य विद्वान भी यह स्वीकार करते हैं कि आर्यभट प्राचीन विश्व के एक महान वैज्ञानिक थे। यद्यपि हम आर्यभट का महत्व इसलिए देते  हैं क्योंकि सम्भवतः वे ईसा की पांचवी-छठी ...
संवत्सर की वैज्ञानिकता                                                                                                                                -श्री विष्णुप्रसाद चतुर्वेदी समय का हिसाब रखना आज के मनुष्य के लिए कोई कठिन कार्य नहीं है। छपे कलैण्डर, हाथ में बंध...
आदर्श तारे सूर्य को जानने के क्रम में हमनें इस लेख श्रृंखला के प्रथम भाग में जाना कि सूर्य हमसे कितना दूर हैं, यह हमारी पृथ्वी से कितना बड़ा हैं, सौर कलंक क्या होते हैं, यह हमारी आकाशगंगा का एक आदर्श तारा कैसे हैं, इसकी तेजस्विता का रहस्य क्या हैं, हाइड्रोजन बम और स...
by:- Pradeep kumar पिछले लेख में आपनें यह जाना कि सूर्य हमसे कितना दूर हैं, यह पृथ्वी से कितना बड़ा हैं, सौर-कलंक क्या होते हैं, हमारा सूर्य आकाशगंगा का एक आदर्श सितारा कैसे हैं, सूर्य की तेजस्विता का रहस्य क्या हैं इत्यादि ।  इस भाग में आप सूर्य की संरचना, सूर्य ग्...
इस प्रभाव की खोज आस्ट्रिया के प्रसिद्ध भौतिकविद् क्रिश्चियन डॉप्लर ने 1842 ई० में की थी। इस प्रभाव के बारे में जानने के लिए हम रेलवे-स्टेशन चलेंगे। जब भी हम किसी भी रेलवे-प्लेटफार्म से इस प्रभाव का प्रेक्षण करते हैं, तब हम देखतें हैं कि, जब रेलगाड़ी हमारी ओर गतिमान...
वैज्ञानिक ब्रह्माण्ड एक ऐसा ब्रह्माण्ड हैं जिसकी व्याख्या वैज्ञानिकता एवं तार्किकता के आधार पर की जा सकती हैं। इसकी व्याख्या न तो वैदिक आचार्यों द्वारा रचित वेदों से होती हैं और न ही आध्यात्म से प्रेरित व्यक्ति के मतों के आधार पर। हाँलाकि यह भी सत्यता-युक्त एक उदाह...
 पोस्ट लेवल : ब्रह्माण्ड परिचय
बीसवीं सदी के प्रतिभाशाली ब्रह्माण्डविज्ञानी फ्रेड हॉयल ने बिट्रिश गणितज्ञ हरमान बांडी और अमेरिकी वैज्ञानिक थोमस गोल्ड के साथ संयुक्त रूप से ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति का सिद्धांत प्रस्तुत किया। यह सिद्धांत ‘स्थायी अवस्था सिद्धांत’ के नाम से विख्यात हैं। इस...
सन् 1960 ई० में खगोलज्ञों को ऐसे प्रबल रेडियो स्रोत मिले जो हमसे 10 से 15 प्रकाशवर्ष दूर हैं। तब वह बड़े आश्चर्य की बात समझी गयी क्योंकि रेडियो-दूरबीनो के द्वारा खोजे गये ये पिंड खरबों तारों के तुल्य ऊर्जा का उत्सर्जन करते थे। और उनका आकार-प्रकार भी तारों के समान था...
 पोस्ट लेवल : बिना श्रेणी
भूमिका: अल्बर्ट आइंस्टीन को सापेक्षता के सिद्धांत को प्रतिपादित किये हुए सौ से अधिक वर्ष व्यतीत हो चुके हैं। अब यह सिद्धांत भौतिकी का आधार स्तम्भ बन चुका है। बिना इस सिद्धांत के आधुनिक भौतिकी उसी तरह से असहाय है, जिस प्रकार बिना अणुओं-परमाणुओं की अवधारणाओं के। किन्...
 पोस्ट लेवल : सापेक्षता
मानव हजारों वर्षों से निरभ्र आकाश में दिखाई देने वाले तारों का निरीक्षण करता आया हैं । अक्सर लोगों के दिमाग में यह प्रश्न उठते हैं कि आकाश के ये तारे हमसे कितनी दूर हैं? ये सतत क्यों चमकते रहते हैं? ये कब तक चमकते रहेंगे? क्या इन तारों का जन्म होता हैं? क्या इनकी म...