ईश्वर से कुछ ना मांगें हम सब कुछ तुमसे पाया है राम सिया से मात पिता कीहम बच्चों पर छाया है तुम दोनो को संग में देख के मन हर्षित हो जाता है अद्भुद सी अनुपम जोडी को देख के मन यह गाता है युग युग तक आशीष मिले बसऔर नहीं कुछ पाना है&nbs...
जाने क्यूं जलते लोग,बुलंदियों के आ जाने परबदल जाते क्यूं रिश्तें, गुरबत के आ जाने परहटे नकाब अनदिखे, उजले चमके चेहरों सेखुल गई सभी बनावटें, तूफां के आ जाने परअरसा हुआ देखे उन्हें, जो रोज मिलने आते थेदिखे नहीं दिया भी तो, अंधेरों के छा जाने परघर से आंगन खत्म ह...
जब तक है श्वासें इस तन मेंमै पूर्णविराम नहीं लगाऊंगाजीवन की हर इक घटना को मै अर्धविराम ही बतलाऊंगाइस जग में किसे अभाव नहींकिंतु रुकना मेरा स्वभाव नहींप्राण यात्रा के प्रत्येक लक्ष्य कोमै अर्धविराम ही बतलाऊंगाजब तक है श्वासें इस तन मेंमै पूर्णविराम नहीं लगाऊंगा...
निशा घनी जितनी होगी भोर धनी उतनी होगी काले बादल छाये तो क्या बारिश भी रिमझिम होगी गिर जाना होता हार नही क्यूं नियति स्वीकार नहीं है प्रयास तुम्हारे हाथों में क्यों भुज का विश्वास नहीं ह्र्दय का मत यूं संताप बढा बन जरा सत्य में लिखा पढा अब...
दो से देखो वो एक हो गये, चलते चलतेराही अंजान हमसफर हुये, चलते चलतेमौसम तो आये कई मुश्किलों के मगरकोयले से खरा कुंदन हुये जलते जलतेबडी आजमाइशे की मुकद्दर ने तो क्यामंजिले पा ही गये शाम के ढलते ढलतेफासले मिटाने को हंसके गले मिलते रहेआखिर दुश्मन थक ही गये छलते छलतेफंद...
शोर करने को कहां है कोई मुद्दा जरूरी पता है शोर खुद ब खुद मुद्दा बन जायेगा पिछले कुछ दिनों में चुनाव के अलावा जो मुद्दा सबसे ज्यादा चर्चा मे है – वह है हिजाब सामान्यत यह मेरा स्वभाव है कि मैं घटनाओं पर चिंतन मनन करती हूं मगर उस पर अपनी प्रतिक्रिया केवल स्व...
कुछ दिनों से हमारी, हमारी उनसे नोंक झोंक नहीं हो रही। मन में अजीब सी खलभली मची हुयी है, कि आखिर ऐसा क्या हमने कर दिया कि हमारा पिछले तीस सालों से चला आ रहा सिलसिला ऐसे खतम हो गया जैसे धरती से डाएनासोर। सुबह की चाय के साथ भले ही लोगों को बिस्किट खाने में आनंद...
इतवार की सुबह थी, चाय नाश्ता हो चुका था, अखबार भी पढा जा चुका था। राधिका की कल से परीक्षा थीं इसलिये श्रीमती जी उसको पढानें में व्यस्त थी, भले ही वह फस्ट क्लास में थी मगर हमारी श्रीमती जी को इतनी चिंता थी जैसे उसकी बोर्ड की परीक्षा हो। ऐसे माहौल में टीवी चला लेना क...
कितनी मुश्किलों से, हमे उसने भुलाया होगा जली होगीं उगलियां, जब खत जलाया होगा भूल जाने की कोशिशों में, जाने कितनी दफा हंसी लम्हों को जेहन में, रो रो दोहराया होगा छोड दी होगीं कई, पसंदीदा चीजें ओ जगहें संग मेरे उसने जहां, दो पल भी बिताया...
कितने बरस बाद आज वो अपने बडे दद्दा से मिलने जा रही थी। कब से मां बाऊ जी से सुनती आ रही थी दद्दा की सफलता की कहानियां। और आज जब उसका मुम्बई के एक नामी कालेज में दाखिला हुआ तो उसको दाखिले की खुशी से ज्यादा दद्दा से मिलने की खुशी थी। दद्दा दरअसल कोई बुजुर्ग व्यक्ति नह...