मानव एकता दिवस पर विशेष इस संसार के इतिहास को जब हम देखते हैं तो पाते हैं कि यहाँ विविधताएँ हमेशा से रही हैं. यह विविधताएँ किसी दूसरे देश के स्तर से लेकर देश के भीतर भी रही हैं. किसी एक देश में ही संस्कृतियाँ, भाषाएँ, पहनावा, रीति-रिवाज, परम्पराएं, मान्यताएं आदि भि...
परमात्मा इस सृष्टि के कण कण में विद्यमान है और इसे सिर्फ गुरु की कृपा से प्राप्त किया जा सकता है. इसका स्वरूप निराकार है और यह स्वयं बना है सारी सृष्टि इसमें समाई है और यह सृष्टि में समाया है. सारे जगत का कर्ता धर्ता यह परमात्मा है.जब गहराई से विचारते हैं तो हम वास...
आज महीनों बाद इस ब्लॉग पर कुछ लिख रहा हूँ. इस न लिखने के पीछे भी कई कारण हैं. पहला जो कारण है वह यह कि अध्यात्म जैसे विषय पर लिखने के लिए मन में बहुत निरोल भाव चाहिए होते हैं, जीवन में सात्विकता, आचरण में पवित्रता और कर्म दृढ़ता की बहुत आवश्यकता होती. अगर यह स...
हम यह मानते हैं कि ईश्वर इस सृष्टि के कण-कण में समाया है, लेकिन ऐसा नहीं है. यह बात सिर्फ कहने को सही लगती है तथा हमें आनंद देती है या हम यह कह सकते हैं कि हमें भी परमात्मा के विषय में थोड़ी बहुत जानकारी है. सच तो यह है कि यह सृष्टि परमात्मा में समायी ह...
हमारे धर्म ग्रंथों में ईश्वर के विषय में बहुत वैज्ञानिक तरीके से विचार किया गया है . ईश्वर जो सृष्टि का कर्ता-धर्ता है, जो पूरे ब्रह्मंड में एक सा समाया है , जिसकी सत्ता सृष्टि के कण - कण में है जिसे वेद में नेति -नेति कहा गया है . अगर हम नेति - नेति शब्...
हम जब भी इस सृष्टि के के बारे में सोचते हैं तो , हमारे जहन में कई तरह के प्रश्न उभर कर आते हैं , लेकिन हमें उनका समाधान तार्किक दृष्टिकोण से नहीं मिलता . उनका समाधान पाने के लिए हमें सांसारिक मोह माया से उपर उठकर विचार करना होता है .और यह विचार बुद्धि से न होकर मन...
बचपन में मैंने पढ़ा था , कि ईश्वर सर्वव्यापक है , सर्व शक्तिमान है । बहुत बार विश्लेषण किया कि अगर ईश्वर का स्वरूप ऐसा है तो फिर यह नजर क्योँ नहीं आता , महसूस क्योँ नहीं होता , ईश्वर दिखाई क्योँ नहीं देता ....बहुत बार ऐसे प्रश्न मेरे जहन में उठते ...और में इनके सम...
अवतार वाणी जब प्रकाश में आयी तो इसके प्रकाशन से पूर्व ही यह लोगों में काफी लोकप्रिय हो चुकी थी , प्रारंभ में लोग इसके अच्छे लगने वाले पदों को लिखकर ले जाते थे और उचित समय पर इनका प्रयोग करते थे , जब "अवतार वाणी" का प्रकाशन हुआ तो इसकी हजारों प्रतियाँ हाथों- हाथों...
हम अपने देश के इतिहास पर नजर डालते हैं तो हम पाते हैं कि हमारा जीवन दर्शन हमें "तमसो मां ज्योतिर्गमय" अर्थात अन्धकार से प्रकाश कि और ले जाता है । अन्धकार क्या है , प्रकाश क्या है ? इन विषयों पर हमारे देश " आर्यावर्त" में काफी पहले से विचार किया गया । और हम कुछ...
आज मैं एक नए ब्लॉग का आरम्भ करने जा रहा हूँ । जिसका शीर्षक मैंने धर्म और दर्शन रखा है । इस ब्लॉग में मैं प्रयास करूँगा धर्म और दर्शन के सम्बन्ध में अपने विचारों को आपके साथ साँझा करने का ।जहाँ तक मुझे लगता है धर्म और उसके दर्शन का हमारी जिन्दगी से प्रत्यक...