नारी तू स्वाभिमान है, प्रेरणा है, सम्मान है,तू आदिशक्ति है, अन्नपूर्णा है, देती जीवनदान है।ख़ामोशी की बंदिशों को तोड़ करउन्मुक्त उड़ान तू भर पंख फैलाए खुले आसमान मेंसारी दुनिया फतेह तू कर,अपनी ख्वाहिशों को दे अंजाम,छू ले आसमान।नारी तू स्वाभिमान है, प...
दोहा 'दो है' कह रहा, कर दोनों को एक।तेज द्वैत अद&...
कुंडलिया *झर-झर-झर निर्झर झरे, हरती ताप फुहार।...
अतुलनीय स्नेह से परिपूर्ण है नारी ,सादगी,त्याग और सहनशीलता की मूरत है नारी !धारा-सी रिश्तों को एकसाथ बांधे हुए बहती है नारी ,रब के समान नवजीवन की&nb...
समर्पयामि रामोत्सव (अथ किन्नर कथासंवाद ५) में तीन दिवसीय प्रस्तुति में प्रथम दिवस ग़ज़ल गायक मिथलेश लखनवी, द्वितीय दिवस साहित्य भूषण देवकीनन्दन शान्त जी ने स्वलिखित हरदौल चरित प्रस्तुत किया, तृतीय दिवस बाराबंकी से उभरती हुई गायक सुश्री अदिति वर्मा ने रा...
लक्ष्मण रेखा खिंच गयी सब लोगों के द्वारइक्किस दिन घर में रहो अपने मन को मारअपने मन को मार मिला है सुंदर मौकाबीवी मारे मौज करो तुम चूल्हा चौकाहम तो हैं तैयार सहेंगे सभी झमेलेये कोरोना वायरस कोई जान न ले ले
एक रचना ब्रम्हानंद सहोदर*रसानंद नव गीत मनोहर...
II श्री महालक्ष्यमष्टक स्तोत्र II मूल पाठ-तद्रि&#...
सुबह उठने के साथकरने लगती हूं तैयारीघर छोडने कीहाथ मुंह धुलते धुलतेवही उतार कर रख देते हूंमन की थकनजो नही मिटी सो कर भीबैग पैक करते करतेपैक कर देती हूंरात बीती सारी बातेंतकिये के नीचे धीरे सेधर देते हूं सारी चिन्तायें ये कह करशाम को फिर मिलूंगी तुमसेतब तक तुम ठोडा...