ई ससुर, मुद्दा क्या है?मुद्दा ये नहीं,कि मुद्दा क्या है!मुद्दों पर चलने वाला,अपना ही कारवां है। बनते हैं मुद्दे,कारवां में भी मुद्दे पर मुद्दा,बनाते हुए। तफ़्तीश करना मुद्दों की मुद्दा बड़ा अहम् है इस कारगुज़ारी में,मिल गये हैं बंदर इसी म...
बाट सपन सुन्दरी, पनघट गगरी मैं गोरिया अकुलाई। वो निर्लज्ज, परदेश बलमुआ रात खाट कुम्हलाई। चकिया भर-भर दाना पीसूँ डाले पिया खटाई। साँझ-सवेरे रोऊँ भर-भर,अखियाँ नींद न आई । सपन सुन्दरी, पनघट गगरी मैं गोरिया अकुलाई। ना च...
वैश्या कहीं की ! ( लघुकथा )"अरि ओ पहुनिया!"""करम जली कहीं की!""कहाँ मर गई ?""पहिले खसम खा गई!""अब का ह...
''अर्जुन सागर' नवोदय सम्मान" नवोदय साहित्यिक एंव सांस्कृतिक मंच, साउथ सिटी, लखनऊ ने आज 22-12-2019 को, गुलमोहर ग्रीन स्कूल, ओमैक्स सिटी, शहीद पद, रायबरेली, लखनऊ के आडीटोरियम में, आचार्य ओम नीरव की अध्यक्षता में *नवोदित* कवियों को "राम कुमार सरोज 'अर्जुन स...
नारी सशक्तिकरण! ( लघुकथा )"रामकली!"अरी ओ रामकली!""पकौड़े ला रही है या बना रही है!""ये निठल्ली मुई, एक काम भी समय से नहीं करती है!"कहती हुई भावना अपनी नौकरानी रामकली पर खीझती है।"छोड़ यार!""इधर मन लगा!""देख तू फिर से हार जायेगी!""नहीं तो!""चल, अपने ताश के पत्ते संभाल!...
वे कह गये थे अक़्स से... ( 'नवगीत' ) वे कह गये थे अक़्स से परदे हटाना तुम!मैं जा रहा हूँ, वक़्त सेनज़रे मिलाना तुम ! वे कह गये थे अक़्स से परदे हटाना तुम! ख़ाक में, हूँ मिल गया ज़र्रा हुआ माटी, मेहनतों के बीज से फसलें उगा...
एन.आर.सी है कि बवाल ! (लघुकथा) रामखेलावन, पैर पटकता हुआ अपने फूस की मड़ई में प्रवेश करता है और पागलों की तरह घर के कोने में पड़े जंग लगे संदूक को खोलकर ज़ल्दी-ज़ल्दी उसमें पड़े कपड़ों और पुराने सामानों को इधर-उधर मिट्टी के फ़र्श पर फेंकते हुए चींख़ता है,"अरे ओ न...
छुटकारा ( लघुकथा )बोल-बोल रानी ! कितना पानी नदिया सूखी, भागी नानी। कहते हुए ननुआ मदारी अपने बंदर और बंदरिया को अपनी पीठ के चारों ओर घुमाता हुआ, क़दरदान, मेहरबान अपनी झोली खोलकर पैसा दीजिए ! भगवान के नाम पर, इन मासूम खिलाड़ी बंदर-बंदरिया के रोज़ी-रोटी के वास्...
'क्रान्ति-भ्रमित' चल रहे हैं पाँव मेरे, आज तो पुकार दे !क्षण की वेदी पर स्वयं, तू अपने को बघार दे ! लुट रहीं हैं सिसकियाँ, तू वेदनारहित है क्यूँ ?सो रहीं ख़ामोशियाँ, तू माटी-सा बना है बुत !धर कलम तू हाथों में, क्रान्ति का नाम दे !नींद में...
भागते रास्ते.... ( गीत )वो जो आए थे....... जो गुज़र गएहोते हुए ..... इसी रास्ते .....मैं पुकारता ....यूँ ही रह गयादबता गया ....... कदमों तले ....वो जो आए थे....... जो गुज़र गएहोते हुए .....इसी रास्ते .....ए...