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ख़्वाब देखना तो जैसेभूल चुकी हैं आँखेंऔर नींद भी मानोअब, पहचानती ही नहींबस, थोड़ा सा आसरा हैइन यादों काउन बातों काजिसे महसूस किया है दिल नेदूरियों के बाद भीसिमट गई है कुछ पल मेंउस मुहब्बत की ख़ुश्बूमगरअब सिर्फ सन्नाटा हैइतना सन्नाटा किउकताने लगी हैतन्हाई भीचित्र साभ...
 पोस्ट लेवल : lokesh nashine कविता poetry तन्हाई
तुम सोचते हो किघर से निकाले गएमाँ-बाप बेघर हो जाते हैं,नहीं, नासमझी है ये तुम्हारी,बल्किमाँ-बाप के चले जाने सेतुम्हारा घर हीबेघर हो जाता हैचित्र साभार- गूगल
 पोस्ट लेवल : Nadeesh नज़्म नासमझी nazm poetry नदीश
ये कैसी तन्हाई है कि सुनाई पड़ता हैख़्यालों का कोलाहलऔर सांसों का शोरभाग जाना चाहता हूँऐसे बियावां मेंजहाँ तन्हाई होऔर सिर्फ तन्हाईलेकिननाकाम हो जाती हैंतमाम कोशिशेंक्योंकिमैं जब भी निचोड़ता हूँअपनी तन्हाई कोतो टपक पड़ती हैकुछ बूंदेंतेरी यादों कीचित्र साभार- गूगल
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【1】जब भी किया नींद नेतेरे ख़्वाबों का आलिंगनऔर आँखों ने चूमा हैतेरी ख़ुश्बू के लबों कोतब मुस्कुरा उट्ठा हैमेरे ज़िस्म का रोंया रोंयाचित्र साभार- गूगल【2】न जानेकितनी ही रातें गुजारी है मैंनेतेरे ख़्यालों मेंउस ख़्वाब के आगोश मेंजिसकी ताबीर* हो नहीं सकतीअक्सर आ बैठते हैं...
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(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({ google_ad_client: "ca-pub-8930566477748938", enable_page_level_ads: true }); आईने में देखता हूँ खुद कोऔर मुझे तुम नज़र आते होसोच में पड़ जाता हूँक्योंकि आईना पारदर्शी नहीं होताफिर ये...
 पोस्ट लेवल : lokesh nashine आईना nazm poetry
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({ google_ad_client: "ca-pub-8930566477748938", enable_page_level_ads: true }); तन्हाई के जंगल में भटकते हुए याद का पलजब भीग जाता है अश्क़ों की बारिश में तब एक उम्मीद&nbs...
 पोस्ट लेवल : Nadeesh नज़्म कविता nazm poetry blog
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({ google_ad_client: "ca-pub-8930566477748938", enable_page_level_ads: true }); अक्सर ही ऐसा होता हैउम्मीदों की उंगली थामेदिल चल पड़ता हैतमन्ना की पथरीली राहों मेंऔर चुभता है फिरकिसी की बेरु...
 पोस्ट लेवल : poetry जब तुम नहीं आते shayari
न तारे, चाँद, गुलशन औ' अम्बर बनाने मेंजरूरी जिस कदर है सावधानी घर बनाने मेंअचानक अश्क़ टपके और बच गई आबरू वरनाकसर छोड़ी न थी उसने मुझे पत्थर बनाने मेंमैं सारी उम्र जिनके वास्ते चुन-चुन के लाया गुलवो ही मसरूफ़ थे मेरे लिए खंज़र बनाने मेंचित्र साभार- गूगल