वर्षा की झमाझम बालपन से ही न रिझा पायी हमें | जिस ऋतु मे युगल अलमस्त बौराये घूमते हैं| रिम झिम गिरे सावन ... की धुन पर बालकनी में चाय के प्याले खनकते हैं | सरसराती बौझारें मन को गुदगुदाती हैं |उस ऋतु की कीचड़ भरी किचकिच और वक्त ब...
यर्थाथ बच्चे पूँछते हैं सवाल ,माँग&#...
हवा चली जब हवा चली जब नम स्मृतियों &...
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फसल फसल नफरत की जल्दी बढ़ जाती है।कौन सा खाद कौन सा पानी पाती है।उगती है दिलों पर ,और दिलों पर जीती है ,दिलों का जहर पीकर ,दिल ही दिल में , जवान होती है।मिट्टी खुदगर्जी की जब पड़ जाती है।फसल नफरत की जल्दी बढ़ जाती है।---...
सपनेकच्ची नींद से जागेटूटे सपनों के धाग...