(मुक्तक शैली की रचना)अर्थव्यवस्था चौपट कर दी, भ्रष्टाचारी सेठों ने।छीन निवाला दीन दुखी का, बड़ी तौंद की सेठों ने।केवल अपना ही घर भरते, घर खाली कर दूजों का।राज तंत्र को बस में कर के, सत्ता भोगी सेठों ने।।कच्चा पक्का खूब करे ये, लूट मचाई सेठों ने।काली खूब कमाई करके, भ...
पूजा प्रथम गणेश की, संकट देती टाल।रिद्धि सिद्धि के नाथ ये, गज का इनका भाल।गज का इनका भाल, पेट है लम्बा जिनका।काया बड़ी विशाल, मूष है वाहन इनका।विघ्न करे सब दूर, कौन ऐसा है दूजा।भाद्र शुक्ल की चौथ, करो गणपति की पूजा।।बासुदेव अग्रवाल 'नमन'तिनसुकिया05-09-2016
बह्र:- 2122 2122 2122 212जब से अंदर और बाहर एक जैसे हो गये,तब से दुश्मन और प्रियवर एक जैसे हो गये।मन की पीड़ा आँख से झर झर के बहने जब लगी,फिर तो निर्झर और सागर एक जैसे हो गये।लूट हिंसा और चोरी, उस पे सीनाजोरी है,आजकल तो जानवर, नर एक जैसे हो गये।अर्थ के या शक्ति के य...
बह्र:- 221 2121 1221 212शुक सा महान कोई भी ज्ञानी नहीं मिला,भगवत-कथा का ऐसा बखानी नहीं मिला।गाथा अमर है कर्ण की सुन जिसको सब कहें,उसके समान सृष्टि को दानी नहीं मिला।संसार छान मारा है ऋषियों के जैसा अब,बगुलों को छोड़ कोई भी ध्यानी नहीं मिला।भगवान के मिले हैं अन...
बहरे मीर:- 22 22 22 2कब से प्यासे नैना दो,अब तो सूरत दिखला दो।आज सियासत बस इतनी,आग लगा कर भड़का दो।बदली में ओ घूँघट में,छत पर चमके चन्दा दो।आगे आकर नवयुवकों,देश की किस्मत चमका दो।दीन दुखी पर ममता का,अपना आँचल फैला दो।मंसूबों को दुश्मन के,ज्वाला बन...
बहर :- 122*3+ 12 (शक्ति छंद आधारित)(पदांत 'रोटियाँ', समांत 'एं')लगे ऐंठने आँत जब भूख से,क्षुधा शांत तब ये करें रोटियाँ।।लखे बाट सब ही विकल हो बड़े, तवे पे न जब तक पकें रोटियाँ।।तुम्हारे लिए पाप होतें सभी, तुम्हारी कमी ना सहन हो कभी।रहे म्लान मुख थाल में तु...
बार लंका वासी घाळै।देखो आज अभागण लंका, बजरंगी बाळै।।जात वानरा की पण स्याणा, राम-दूत बण आया,आदर स्यूँ माता सँभलाद्यो, हाथ जोड़ समझाया,आ बात वभीषण जी बोल्या, लात बापड़ा खाया,बैरा भाठां आगै जोर न, कोई रो चाळै।बार लंका वासी घाळै।देखो आज अभागण लंका, बजरंगी बाळै।।अक्षय बाग...
हाय अनाथआवास फुटपाथजाड़े की रात।**दीन लाचारशर्दी गर्मी की मारझेले अपार।**हाय गरीबजमाना ही रकीबखोटा नसीब।**तेरी गरीबीबड़ी बदनसीबीसदा करीबी।**लाचार दीनदुर्बल तन-मनकैसा जीवन?**दैन्य का जोरतपती लू सा घोरकहीं ना ठौर।**दीन की खुशीनित्य की एकादशीओढ़ी खामोशी।**सुविधा हीनदुख प...
(1-7 और 7-1)(वक्त का मोल)जोमोलवक़्त काना समझेपछताते वो।हो काम का वक़्तसोये रह जाते वो।हाथों को मलने सेलाभ अब क्या हो?जो बीत गयेपल नहींलौट केआतेवो।।*****(क्षणभंगुर जीवन)येचारदिनों काजीवन हैनाम कमा ले।सत्कर्मों की पूँजीले के पैठ जमा ले।हीरे सा य...
(1)पेड़ की पत्तियों कासौंदर्य,तितलियों का रंग,उड़ते विहगों कीनोकीली चोंच की कूँची;मेरे प्रेम केकैनवस परप्रियतम का चित्रउकेर रही है,न जानेकब पूरा होगा।**क्षणिका (जिंदगी)(2)जिंदगीचैत्र की बासन्ती-वास,फिर ज्येष्ठ कीतपती दुपहरी,उस पर फिरसावन की फुहार,तब कार्तिक कीशरद सुह...