ब्लॉगसेतु

sangeeta swarup
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गुनगुनाती हूँ दिल में ,लेकिन गाना नहीं आतातभी तो  सुर में तेरे सुर मिलाना नहीं आता ।अफ़सुर्दा होती हूँ यूँ ही बेबात मैं जब भी किसी को भी मेरा मन बहलाना नहीं आता ।बेचैनियाँ इतनी घेरे हैं हर इक लम्हादिल को मेरे क्यूँ करार पाना नहीं  आता ।बेरौनक सी अपनी...
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 यूँ ही ख्वाबों में एक दिन टहलते- टहलाते जा पहुँचे परलोक खुद  ही  बहलते -  बहलाते ।सामने था स्वर्ग का द्वार दिख रहा था बहुत कुछ आर  पार । न जाने कितनों की आत्माएँ इधर उधर डोल रहीं थीं ,आपस में न जाने ...
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ज़िन्दगी की सड़क पर दौड़ते जाते हैं अक्सर ही अन्धाधुन्ध,बिना सोचे या कि बिना समझे ही कि हम किसे पाने कीहोड़ लिए अप्राप्य को प्राप्त करने की चाहत में ,छोड़ते जा रहे हैं बहुत कुछ जो हमें प्राप्त था । गिरते हैं संभलते हैं&n...
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 प्रकृति तो बदलती है निश्चित समय पर अपने मौसम , होते हैं निश्चित दिन - महीने ।लेकिन इंसान के-मन का मौसम कब बदल जाये पता ही नहीं चलता ।चेहरा ही बता देता है कि मौसम कुछ बदला सा है ।जब चढ़ता है ताप भावनाओं का तो  च...
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मुझको वो हासिल न था जो तुझको हासिल हुआ अल्फ़ाज़ यूँ ही गुम गए , गम जो फिर काबिज़ हुआ। अश्कों ने  घेरा   क्यों  हमें ये भी कोई   बात   हुईचाहत भले ही रहें अधूरी  ,हक़ अपना तो लाज़िम हुआ ।माँग कर गर जन्...
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 छठे दशक काअंतिम  पायदानजीवन में अक्सरआते  रहेनित नए व्यवधान,खोजती रहीउनके स्वयं हीसमाधान,कभी मिलेकभी नहीं भी मिलेबसखुद से जूझ करखुद से टकरा करटूटती रहीजुड़ती रही ,आज उम्र केइस पड़ाव परसोचती हूँक्या मिल गयामुझे अपनामक़ाम ?नहीं !क्यों किजिस दिनमिल जाएगाम...
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 श्रद्धांजलि देते देते लगने लगा है कि खुद हम भी किसी चिता का अंश बन गए हैं ।गर इस एहसास से निकलना है बाहर तो कर्म से च्युत हुए बिना जियो हर पल और निर्वहन करते हुए अपनी जिम्मेदारियों का सोचो कि&nb...
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 नहीं जानती  पूजा के नियम विधि - विधान ,कब और किसकी की जाय पूजा इसका भी  नहीं  मुझे कोई भान ।हृदय के अंतः स्थल से मैं बस अनुरागी हूँ स्वयं के ही प्रेम में डूबी वीतरागी हूँ ।लोग सोचते हैं प्र...
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 ज़िन्दगी के बाग कोन मैंने काटा न छांटा और न ही लगाईकंटीले तारों की बाड़न ही की कभी इस बगिया की देख भाल ।वक़्त की हवा ने यूँ ही छिटका दिए बीज संवेदनाओं के स्नेह धारा के अभाव मेंअश्रु की नमी से ही निकल आये अंकुर उनमें ।नन्हे नन्हे बूट...
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क्या भूलूँ  क्या याद  करूँ ?कब कब  क्या क्या  वादे थेकुछ  पूरे  कुछ  आधे  थेकैसे  उन पर  ऐतबार  करूँक्या भूलूँ   क्या  याद  करूँ ?कुछ  नन्हे  नन्हें  सपने  थेकुछ  ते...