हिंदी पत्रकारिता दिवस, 30 मई 1826'हिंदुस्थानियों के हित के हेत' इस उद्देश्य के साथ 30 मई, 1826 को भारत में हिंदी पत्रकारिता की नींव रखी जाती है। पत्रकारिता के अधिष्ठाता देवर्षि नारद के जयंती प्रसंग (वैशाख कृष्ण पक्ष द्वितीया) पर हिंदी के पहले समाचार-पत्र 'उदंत मार्...
पोस्ट लेवल : "अखबार"

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आज की पत्रकारिता के समक्ष जैसे ही गोकशी का प्रश्न आता है, वह हिंदुत्व और सेकुलरिज्म की बहस में उलझ जाता है। इस बहस में मीडिया का बड़ा हिस्सा गाय के विरुद्ध ही खड़ा दिखाई देता है। सेकुलरिज्म की आधी-अधूरी परिभाषाओं ने उसे इतना भ्रमित कर दिया है कि वह गो-संरक्षण को सा...

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- लोकेन्द्र सिंह -एक उम्र होती है, जब अपने भविष्य को लेकर चिंता अधिक सताने लगती है। चिकित्सक बनें, अभियंत्री बनें या फिर शिक्षक हो जाएं। आखिर कौन-सा कर्मक्षेत्र चुना जाए, जो अपने पिण्ड के अनुकूल हो। वह क्या काम है, जिसे करने में आनंद आएगा और घर-परिवार भी अच्छे से च...

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- लोकेन्द्र सिंह -स्वदेश ग्वालियर समूह की ओर से प्रतिवर्ष प्रकाशित होने वाले दीपावली विशेषांक की प्रतीक्षा स्वदेश के पाठकों के साथ ही साहित्य जगत को भी रहती है। समृद्ध विशेषांकों की परंपरा में इस वर्ष का विशेषांक शुभ उजाले से भरा हुआ है। प्रेरणा देने वाली कहानियां,...

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पत्रकारिता में श्रेष्ठ मूल्यों की स्थापना करने वाले स्वदेश के प्रधान संपादक श्री राजेन्द्र शर्मा का मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित गरिमामय समारोह में आत्मीय अभिनंदनपत्रकारिता जब मिशन से हटकर व्यावसायिकता की पटरी चढ़ चुकी है, तब भी सिद्धांतों से डिगे बिना 51...

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डरावने बादल, तेज तड़तड़ाहट, चुंधियाती रोशनी और भयानक शोर-ऐसा पहले कभी न हुआ था, और न उम्मीद है कि दोबारा होगा। यह जापानी शहर हिरोशिमा पर परमाणु हमले का दृश्य था। अपराधी अमेरिका था, और उसके तत्कालीन राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने यह कहकर इस विनाशलीला का बचाव किया था कि मा...

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एकता जोशी26-06-2018 मीडिया की पोल खोल !!आपके कई लोग पिछले कई दिनों से पूछ रहे है की- मीडिया हमारा आन्दोलन क्यों नहीं दिखा रहा? बात एकदम सही है। आईये जानते है हर एक मीडिया चैनल और उनके मालिको का सच।Zee news:यह चैनल का मालिक सुभाष चंद्रा है।सुभाष चंद्रा नर...

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समाचार माध्यमों में अपनी अस्मिता की लड़ाई लड़ रही हिंदी के लिए सुखद अवसर है कि मध्यप्रदेश के हिंदी के समाचार-पत्रों ने हिंदी के स्वाभिमान की सुध ली है। कथित सरल हिंदी और बोलचाल की भाषा के नाम पर हिंदी समाचार पत्रों में अंग्रेजी शब्दों की अवैध घुसपैठ को...

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एक ऐसे इंसान की अंतिम पलो की व्यथा प्रस्तुत कर रही हुं जिन्होंने पुरी जिंदगी जिंदादिली से जीया,पर दुर्रभाग्यवश दिमाग मे खुन के थक्के जम जाने के कारण..उन्हें पैरालाइसिस अटैक आया ...और हर वक्त देव साहब के गीत गुनगुनाने वाले इंसान की जुबान आचानक खामोश हो ग...

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स्पष्ट रूप से पढ़ने के लिए इमेज पर डबल क्लिक करें (आप उसके बाद भी एक बार और क्लिक द्वारा ज़ूम करके पढ़ सकते हैं ) कभी अकबर इलाहाबादी ने कहा था : '' खींचो न तीर कमानों को न तलवार निकालो। जब तोप मुक़ाबिल हो तब अखबार निकालो...