रुकी रुकी थी ज़िंदगीझट से चल पड़ीहुई खुशी से दोस्तीमज़ा ले ले हर घड़ीएक पल में सब कुछ मिल गयासामने मंज़िल खड़ी......उसके सिवा कुछ याद नहींउसके सिवा कोई बात नहींउन ज़ुल्फो की छवो मेंउन गहरी निगाहों मेंउन क़ातिल अदाओं मेंहुआ हुआ हुआ मैं मस्तउसका नशा मै क्या कहूँ..हर लम...
पोस्ट लेवल : "अनुभव"

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आरक्षण अभी और कई तरीकों से लागू होगाजिस तरह से सरकार अपने खर्चे कम न करके जनता पर और बोझा डालने के लिये नये नये कर (टैक्स) लगाने के तरीके ढूंढ़ती रहता है उसी तरह से राजनैतिक पार्टियां और नेता लोग अपना वोट बैंक बनाने के लिये नये नये वर्गों को आरक्षण का रास्ता दिखाता...

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- लोकेन्द्र सिंह -'ट्रेन के सफर में एक बेहद खास बात है, जिसे हमें अपने असल जीवन में भी चरितार्थ करना चाहिए- ट्रेन में जाति का कोई भेद नहीं। सामान्य डिब्बे में तो धन का भी कोई भेद नहीं। सीट खाली है तो हम झट से उस पर बैठ जाते हैं, यह सोचे बिना कि जिससे सटकर बैठना है...

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पिछले दिनों जब फिल्म ‘मुल्क’ का विज्ञापन छपा तो उसमें लिखा था कि 45 फीसदी गैर-मुसलमान उस वक्त असहज हो जाते हैं जब उनके पड़ोस में कोई मुसलमान परिवार रहने आता है। इसी विज्ञापन में छोटे अक्षरों में यह भी लिखा गया था कि ये निष्कर्ष राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण पर आधारित है।...

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मार्क्स और लेनिन को पढ़ने वाला, लिख-गा रहा है नर्मदा के गीतधूनी-पानी में उदासीन संत रामदास जी महाराज के साथ लोकेन्द्र सिंह ऐसा कहा जाता है- 'जो जवानी में कम्युनिस्ट न हो, समझो उसके पास दिल नहीं और जो बुढ़ापे तक कम्युनिस्ट रह जाए, समझो उसके पास...

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व्हाट्स एप पर नए नंबर से Hiii के बाद एक प्रश्न और आगे दो टेक्स्ट मेसेज तीन फ़ोटो मेसेज और अंत में फिर वही प्रश्न...टेक्स्ट मेसेज में पहले का अंश - परखो तो कोई अपना नहीं समझो तो कोई पराया नहींGood morningदूसरे का अंश -सुख दुख तो अतिथि हैं बारी बारी से आएंगे चले...

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पिछले दिनों हम एक पहाड़ी पर्यटन स्थल पर परिवार सहित घूमने गये हुये थे। वहां के मुख्य बाजार में घूमते घूमते एक जगह पर हमने देखा कि एक व्यक्ति ने सपेरे वाली बीन बजानी शुरु कर दी और लोगों का मनोरंजन करने लगा। लोग बाग खुश होकर खुद ही कुछ न कुछ रुपये पैसे उसके आगे रखने...

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p { margin-bottom: 0.25cm; line-height: 120%; }a:link { } लिनक्स (Linux) इस प्रकार की ऑपरेटिंग सिस्टम उबंटू (UBUNTU) साथ तीन साल पूरे हुए! हम में से अधिकतर लोग लैपटॉप या डेस्कटॉप पे विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग करते होंगे| मोबाईल पर आज कल एंड्रॉईड ऑपरेटिंग सि...

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शाम को पार्क में टहलते हुए शुक्ला जी मिल गए । आज रोज की तरह उनकी चाल में वह तेजी नहीं थी । सामना होते ही मैंने पूछा, ‘क्या बात है मान्यवर, आप तो जैसे पैसेन्जर ट्रे...

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मनुष्य चेतना का प्रतिबिम्ब है और यही इसकी वास्तविक पहचान है. वैसे अगर चेतना के इस दायरे को मनुष्य से बाहर की दुनिया पर भी लागू किया जाए तो किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. जब हम इस बात को स्वीकारते हैं कि इस सृष्टि के कण-कण में इसे रचने वाली चेतना समाई है तो सभी...