ब्लॉगसेतु

अविनाश वाचस्पति
0
 22 फरवरी 2014 कोव्‍यंग्‍य का शून्‍यकाल के उपरांत  स्‍थान : दिल्‍ली पुस्‍तक मेले के हॉल नंबर 18 लेखक मंचसमय दोपहर एक बजे से दो बजे के मध्‍य इस दौरान व्‍यंग्य यात्रा का युवा व्‍यंग्‍य लेखन पर चर्चा होगी व्‍यंग्‍य पाठ भी होगा जिसमें सर्व/ श्री सूरज प्रकाश,...
अविनाश वाचस्पति
0
अविनाश वाचस्पति
0
अविनाश वाचस्पति
0
 कौन देगा खर्चा जबकि बनवाई गई है कट चाय। जिस चाय वाले के पास कट चाय बनाई जाती है, वहां पर अधिक भीड़ पाई जाती है। ऐसी भीड़ को नहीं करना पड़ता इकट्ठा, फिर भी चले आते हैं पीने ऐसे जैसे बांटा जा रहा हो फ्री में मट्ठा। जबकि आज के माहौल में हंसी-ठठ्ठा भी बिना पैसे क...
अविनाश वाचस्पति
0
अविनाश वाचस्पति
0
 
अविनाश वाचस्पति
0
अविनाश वाचस्पति
0
  ‘नया’ के दौड़ कर फिर दिसम्बर माह तक पहुंचने और उसे त्यागने और जनवरी में प्रवेश से पूर्व फिर से ‘नया’ हो जाना इस धरा पर सिर्फ ‘बारह महीनों’ के बस में है। इस आगमन के प्रथम दिवस पर ही ‘नया’ (उलटकर पढ़ने पर) तीव्र गति ‘यान’ बनकर अपने पूरे रूतबे के साथ मंगल...
अविनाश वाचस्पति
0
अविनाश वाचस्पति
0