पोस्ट लेवल : "अविनाश वाचस्पति"

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इमेज़ पर क्लिक करके सीधे पढ़ सकेंगे सपने हकीकत बनने लगे, ‘आप’ मुझे अच्छे लगने लगे। अच्छाई तो अच्छी ही लगेगी, बेईमानी की अम्मा कब तक खैर मनाएगी। आजकल सपनों का हकीकती ताना-बाना देख राजधानीवासी ही नहीं, अपितु संपूर्ण हिन्दुस्तान मंत्र-मुग्ध है। जो ‘आ...

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रीती शुभकामनाओं से न पेट भरा करता है न तृप्त होता है मन...सुन लो मित्रों, जान लो जानेमन फेसबुक है तो कौन कह गया है शुभकामनाएं दो और बदले में मंगलकामनाएं लो। आओ गरमागरम जलेबी खाते हैं दूध के साथ पीते हैं राबड़ी विशुद्ध दूध की आपको खिलवाते हैं चित्र इसलिए उनके...

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वैसे तो यह फिल्मी साप्ताहिक राजधानी दिल्ली तथा भारत के अधिकतर बुक स्टालों और पत्र-पत्रिकाओं के ठिकानों पर मिल रहा है। फिर भी आप इस लेख को यहां पर पढ़ सकते हैं।अमरीका मांग नहीं रहा है, और हम देने का शोर मचा मचाकर प्रफुल्लित हो रहे हैं। अमेरिका न...

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29 दिसम्बर 1929 आज ही है आपका जन्मदिवसआपसे ही मिलती रही है शक्तिमिलती रहेगी सदा सर्वदा मुझेभरोसा बलवान है, विश्वास है 6 मई 1970 को मेरे बालपनसौंपकर गए मुझे विचारबलवही बल जो विरल है सबमेंसहज बना गया है मुझे अब प्रणाम निवेदित है आपकोआप ही मेरा सर्व...

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मुझे हिंदी व्याकरण की जितनी जानकारी है, उसके अनुसार जिन शब्दों के अंत में ‘गे’ लगता है, जरूर वह समलैंगिक ही होती हांेगी। यह मेरे निजी गहन शोध का परिणाम है। मिसाल की बानगी पेश है - आप गाएंगे, आप आएंगे, आप जाएंगे, आप बुलाएंगे, आप भगाएंगे, इन सबमें आदर की अनुभ...

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सूखे पत्ते पीले पड़ गएपहचान बने हैं श्रीनगर कीदुख अपना कह रहे हैंस्वर्ग के दुख कम नहीं हैं।ठंड हमें भी लगती हैइंसान पहन लेते हैंकर लेते हैं जुगाड़बचने का प्रकोप से।पर हम पत्ते झुलस जाते हैंठंड सेठंड जो माइनस में जाती हैऑक्सीजन हमारी हर लेती हैहरे रंग से कर देती...

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##Srimatinagar A E - 251 (ढाई सौ एक)जा रहा हूं श्रीनगर स्वर्गवासी होने...कुछ दिनों के लिए पर जिज्ञासा है बनी हुई मेरी श्रीमतीनगर कहां है बतलाएंगे कौन मित्र जैसे श्रीनगर है जम्मू और कश्मीर में। अविनाश वाचस्पति मुन्नाभाई