आज कल यह तर्क बहुत चल रहा है कि जनता भी विरोध दर्ज़ करना चाहती है, पर उसके पास सुघड़ भाषा और उसकी पिच्चीकारी करती मुहावरेदार शैली नहीं है। वह सब, जो इसकी ओट में पीछे खड़े हैं, इस बहाने से आम जनता के प्रवक्ता बनकर उभरे हैं। वह ख़ुद इस पद पर नियुक्त कर लिए गए हैं। यह संग...
पोस्ट लेवल : "असहमति का साहस"

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डिजिटल इंडिया ऐसी तकनीक साबित होगी, जिससे अब अंतरजातीय विवाह सुगमता से होने लगेंगे, जातिवाद देश से उखड़ जाएगा। फ़ेसबुक मेट्रीमोनियल साइट में तब्दील होने जा रहा है। कोई मुजफ्फरनगर, बथानी टोला अब नहीं होगा। कोई किसी के लिए हिंसक शब्दावली का इस्तेमाल नहीं करेगा। अब यहाँ...

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गुरु: पुनीत जी आपकी इस किताब पर मैंने जनसत्ता में लिखा था। वह भी खरीद कर। इस पर लिखी गई बेहद कम समीक्षाओं में एक वह भी। लेकिन हम जैसे हिंदी के मामूली लेखक आपको याद नहीं रहते। हिंदी के लेखक में ग्लैमर नहीं होता न। लेकिन दुर्भाग्य से आप भी उसी ग्लैमरहीन भाषा के लेखक...

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मैं मूलतः इंसान हूँ। इसलिए थोड़ा विचलित हूँ। थोड़ा दुखी भी हूँ शायद। मेरे पास कहने के लिए कुछ ख़ास नहीं है। पर कभी-कभी कहना ज़रूरी लगता है। जैसे आज।मुझे नहीं पता, आततायी कैसे होते हैं। उनकी शक्लें शायद हमारी तरह ही होती होंगी। लेकिन वह असहिष्णु होते होंगे। उनके पास शाय...