ब्लॉगसेतु

Yashoda Agrawal
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चलते चलते यूँ ही रूक जाता हूँ मैंकहना चाहूँ जो पर न कह पाता हूँ मैंउल्फतों का समंदर है हिलोरे खा रहाभावनाएँ व्यक्त ना कर पाता हूँ मैंदोस्त दुश्मन बने जिन्दगी की राह परअपने पराये न खोज कर पाता हूँ मैंहार मान लूँ जो यहाँ ये मुनासिब नहींपर स्वयं से ही नहीं जीत पा...
Yashoda Agrawal
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आम के आम..गुठलियों के दामकहानी लेखकों के लिए सुनहरा मौका..आई ब्लॉगर का संचालन करने वाली फर्म प्राची डिजिटल पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित होने जा रही में आमंत्रित&nb...
 पोस्ट लेवल : आई ब्लॉगर