शंकर जी की नगरी आकर, बम लहरी से दिल डोला है | शिव करते उपकार सभी पर, मन उनका बिल्कुल भोला है || निकल जटा से शिव की गंगा, करने आतीं सबको पावन | हर हर गंगे के नारों से , गूँज उठा है फिर से सावन || जटाजूटधारी के तन पर, व्याघ्र चर्म का इक...
पोस्ट लेवल : "आध्यात्म"

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वह सिर्फ एक ही हैं जिनमें सभी दिवस समाहित हो रहे...सभी दिवसों के लिए एकमेव शुभकामनाएँ

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बीसवाँ अध्याय (२०.११-२०.१४) &nbs...

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दोहा सलिला *नहीं कार्य का अंत है, नहीं कार्य में तंत। माया है सारा जगत, कहते ज्ञानी संत।। * आता-जाता कब समय, आते-जाते लोग...

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बीसवाँ अध्याय (२०.६-२०.१०)  ...

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बीसवाँ अध्याय (२०.१-२०.०५)  ...

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उन्नीसवां अध्याय (१९.०५-१९.०८) ...

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उन्नीसवां अध्याय (१९.०१-१९.०४) ...

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अठारहवाँ अध्याय (१८.९६-१८.१००)  ...

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अठारहवाँ अध्याय (१८.९१-१८.९५) ...