ब्लॉगसेतु

sanjiv verma salil
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सॉनेटशारद वंदना•शारदे! दे सुमति कर्म कर।हम जलें जन्म भर दीप बन।जी सकें जिंदगी धर्म कर।।हो सुखी लोक, कर कुछ जतन।।हार ले माँ! सुमन अरु सुमन।हार दे माँ! क्षणिक, जय सदा।हो सकल सृष्टि हमको स्वजन।।बेहतर कर सकें जो बदा।।तार दे जो न टूटें कभी।श्वास वीणा बजे अनहदी।प्यार दे,...
रवीन्द्र  सिंह  यादव
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ज़माना बहुत बुरा है कहते हुए सुने जाते हैं लोग मझदार से निकालकर किनारे पर कश्ती डुबोनाऐसा तो नहीं चाहते हैं लोग दरीचों के सीनों में दफ़्न हैं राज़ कितने आहिस्ता-आहिस्ता बताते हैं लोग दास्तान-ए-हसरत मुसाफ़िर कब सुना...
रवीन्द्र  सिंह  यादव
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चिड़िया और इंसानहैं सदियों पुराने मित्र,सभ्यता के सफ़र मेंचिड़िया वही इंसान विचित्र।छोटी-सी ज़िंदगानी मेंचिड़िया अपने बच्चों कोसिखाती है ढेरों उपाय, बाज़, उल्लू, बिल्ली, साँप-सेशिकारियों से बचाव।दूर क्षितिज तक उड़नापानी-धूल में नहानादाना चुगना बना...
Bhavna  Pathak
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वह दिन भी याद है जब स्मार्ट सिटी की पहली लिस्ट में इंदौर का नाम आया था। कितनी खुशियां मनाई थीं इंदौर शहर के लोगों ने। जिनका नाम नहीं था वहां के लोग उदास थे कि वे विकास की रेस में पिछड़ गये इंदौर से। दूसरे शहरों के लोग इंदौरियों की खुशकिस्मती पर जलभुन रहे थे। लेकिन...
मधुलिका पटेल
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तेरी यादों को मैं झूठे बहाने बना कर कहीं छोड़ आइ थी पर वो दबे पाँव वापस लौट आइं थी उसने मुझे बहाना ये बतायाकी मेरे ज़हन से अच्छा आशियाना न पायाकलाइ पर जो लिखा था तेरा नामउस पर जब पड़ती है किसी की प्रश्न भरीं नज़र लोगो को बातें बनाने के लिए मिलती...
मधुलिका पटेल
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दर्द रिस्ता है मोम की चट्टानों से सुन कर लोग फ़ेर लेते हैं चेहरे इन अफ़सानों से जो निरंतर चले जा रहे हैंकिस्मत की अंधेरी बंद गलियों  में उन्हें देख़ते हैं शरीफ़ लोग ख़िडकियाँ बंद कर मकानों से दर्द की दवाएँ लिख़ी हैं कुर्सी के विज्...
मधुलिका पटेल
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तुम आती हो नए घर संसार में सपने हजारों हैं अपनों के प्यार में सुबह मंदिर की प्रार्थना में औरों का दुख दर्दमांगती अपने हिस्से में सबको खिलाने के बाद आधे पेट खाने से ही हो जाती तृप्ततुम्हारा पसीना है टपकता सारा आशियाना है चमकतारसोइ का धु...
नवीन "राज" N.K.C
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कोई रिश्ता तो नहीं था लेकिन दूरियों ने भीतर कुछ टूटने का दर्द क्यों दिया है ,न होकर जितनी थी तुम हो भी तो अब कहाँ हो तुम ,हो तो सही पर किसी और की होकर सोंचना भी होगा अब बहुत सोंचकर ,न होने के ख़्याल से ही अपना ये हाल है न होगी जब यहाँ तो !इस बात को मलाल है ,आओगी की...