महक बहुत अजीब होती है. नास्टैल्जिया लिए हुए अक्सर. हवाओं में सर्दियीं वाली खुशबु महसूस होने लगी है. घर में हूँ, पटना में... और पुराने अटैची से जाड़ो के कपड़े, रजाई निकाल लिए गए हैं... सूटकेस में बंद जाड़ों के कपड़ों से बड़ी अनोखी महक आती है, बहुत कुछ याद दिलाती है. बशी...
पोस्ट लेवल : "कवितायेँ"

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सुदर्शन पटनायक द्वारा बनाया गया, चित्र उनके ट्विटर से लिया गया आज शिक्षक दिवस है, यह दिन भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती 5 सितंबर को, उनके याद में मनाया जाता है. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारतीय संस्कृति के प्रख...

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कुछ कवितायेँस्व. आचार्य श्यामलाल उपाध्याय, कोलकाता*१. कवि-मनीषी साधना संकल्प करने को उजागरऔ' प्रसारण मनुजता के भावविश्व-कायाकल्प का बन सजग प्रहरीहरण को शिव से इतर संतापमैं कवि-मनीषी.अहं ईर्ष्या जल्पना के तीक्ष्ण खर-शर-विद्धलोक के श्रृंगार से अति दूरबुद्ध...

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जनवरी में अमित भैया (अमित श्रीवास्तव) -निवेदिता भाभी (निवेदिता श्रीवास्तव) की किताब कुछ ख्वाब कुछ ख्वाहिशें प्रकाशित होकर आई. इस किताब के विमोचन में मुझे भी शामिल होने का सौभाग्य मिला था. तब से ही इस किताब के ऊपर ल...

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आज सलिल वर्मा जो मेरे सलिल चाचा हैं, उनका जन्मदिन है. उनके जन्मदिन पर इस ब्लॉग पर पेश कर रहा हूँ उनके कुछ नज़म, कुछ कवितायें जो उन्होंने इधर उधर लिख कर रख दी थीं. दो तीन कवितायें उनके ब्लॉग से ली गयी है. मेरी बहनाकबीर रोए थे चलती चाकी देखखुश हूँ मैं, खुश होता ह...

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ओ प्रेम !जन्मा ही कहाँ हैअभी तू मेरे कोख से कि कैसे कहूँतुझे जन्मदिन मुबारकदुबका पड़ा हैअब भी मेरी कोख मेंसहमा-सहमा सा कि कैसे चूमूँमाथा तेराचूस रहा हैअब भी आँवल सेकतरा कतरालहू मेराकि कैसे पोषूँधवल सेनहीं जन्मना हैतुझे इसकलयुगी दुनिया मेंले चले मुझे कोई ब्रह्माण्ड क...

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ये दुनिया हमारी सुहानी न होती,कहानी ये अपनी कहानी न होती ।ज़मीं चाँद -तारे सुहाने न होते,जो प्रिय तुम न होते,अगर तुम न होते।न ये प्यार होता,ये इकरार होता,न साजन की गलियाँ,न सुखसार होता।ये रस्में न क़समें,कहानी न होतीं,ज़माने की सारी रवानी न होती ।हमारी सफलता की सारी...

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वह आनन्द क्या है,जिसे मैं खोज रहा हूँ?दौड़ जीतना तो नहीं,बल्कि असफलता का परिचय पाना है,क्योकि इसी के द्वारा मैंने दौड़ना सीखा है। संदेहों से भयभीत नही होना है,क्योकि इन्होने ही मुझे दिखाया कि कहाँ पथ संकीर्ण है-निकल पाना दुष्कर है...

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आज पानी गिर रहा है,बहुत पानी गिर रहा है,रात भर ग&...

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'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर आज प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटती सुभाष प्रसाद गुप्ता की कविताएं. आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा...जब से मैं रंगा हूँ तेरे प्रेम रंग में रंग रसिया,मेरा तन मन सब इंद्रधनुषी होने लगा हैIजब से मिला है धरकन तेरे...