काशी विश्वनाथ धाम के नव्य और भव्य स्वरूप के लोकार्पण के बाद भारतीय समाज और संस्कृति में मंदिरों के स्थान को लेकर भी चर्चा होनी चाहिए। मंदिरों के सामाजिक और सांस्कृतिक केंद्र के ऐतिहासिक स्वरूप पर बात होनी चाहिए। मंदिरों से जुड़ी कलाओं पर भी चर्चा होनी चाहिए। हमारीभ...
पोस्ट लेवल : "काशी"
.jpg)
0
हर हर महादेव हर हर महादेव ।काशी के प्राचीन और वर्तमान वैभव अध्यात्म के नमनकाशी पर कुछ लिखना मुझ जैसे अदना कवि के लिए संभव नहीं फिर भी एक कोशिश-काशी अनादि,सत्य,सनातन महान हौकाशी सजल हौ आज अनोखा विहान हौघर-घर सजल हौ फूल कीखुशबू से इत्र सेगलियारा भरि...

0
महामना मदन मोहन मालवीय जी का जन्म प्रयाग में 25 दिसम्बर 1861 को हुआ था. आपके पिता का नाम पं० ब्रजनाथ तथा माता का नाम मूनादेवी था. मध्य भारत के मालवा प्रान्त से आने के कारण उनके पूर्वज मालवीय कहलाये. इसी को कालांतर में उनके द्वारा जातिसूचक नाम के रूप में अपना लिया ग...
.jpg)
0
काशी विश्वनाथ ,वाराणसी एक आस्था का गीत -यह काशी अविनाशी साधो !यह काशी अविनाशी साधो !इसके रंग निराले हैं |गोद लिए है गंगा इसको घर -घर यहाँ शिवाले हैं |शंकर के डमरू ,त्रिशूल पर टिकी हुई यह काशी है ,इसकी सांसों ...
.jpg)
0
चित्र -गूगल से साभार एक गीत -आकाशी गुब्बारों को किसको चुनेंजातियों को या रंग -बिरंगे नारों को |गंगाजल से धुलना होगा संसद की दीवारों को |उच्च सदन से निम्न सदन तक बस तिलस्म अय्यारी है ,लोकतंत्र में कुछ परिवारों की ही ठेकेद...

0
स्पष्ट रूप से पढ़ने के लिए इमेज पर डबल क्लिक करें (आप उसके बाद भी एक बार और क्लिक द्वारा ज़ूम करके पढ़ सकते हैंकद्दू यानी सीताफल का प्रयोग हमारे यहां सब्जी की तरह किया जाता है, हालांकि ये एक फल है। कद्दू से स्वादिष्ट सब्जी, रायता, खीर, हलवा आदि बनाया जाता है। कद्दू...

0
दिल में यादों का बुलबुला होगाखत पुराना कोई खुला होगाजब मिले होंगे नये दो दिल तोप्यार का सिलसिला चला होगाजिन्दगी की उदास राहों मेंउनके जैसा कोई मिला होगाआँख उनकी जो नम हुई होगीकुछ कहीं बर्फ सा पिघला होगाउनके एहसास ये बताते हैंजुस्तजू में कोई जला होगाअब तो संजीदा हो...

0
इक तरफ गुंजान बस्ती इक तरफ सुनसान बनदेखिए जब तक जहाँ लग जाय दीवाने का मनजो न तुझको जानता हो जा के धोखा उसको देमैं तुझे पहचानता हूँ , जिन्दगी मुझसे न बनचंद आँसू , काँटे, चंद कलियाँ, चंद फूलहों सलीके से जहाँ मौजूद, वो भी इक चमनदेर तक उठता धुआँ, उठ उठ के सर धुनता रहास...

0
आन बसों तुम मोरी नगरिया,हे घट घट के वासीकन्हैया मोरे छोड़ के मथुरा-काशीकान्हा तुम हो प्यार का सागर,फिर क्यूँ सुनी मोरी गागर,कौन कसूर भयो रे मोसे,जो मै रह गई प्यासी,कन्हैया मोरे छोड़ के मथुरा-काशीजिन नैनों में कृष्ण बसे हों,उन नैनों में कौन समाये,नैना...

0
आन बसों तुम मोरी नगरिया,हे घट घट के वासीकन्हैया मोरे छोड़ के मथुरा-काशीकान्हा तुम हो प्यार का सागर,फिर क्यूँ सुनी मोरी गागर,कौन कसूर भयो रे मोसे,जो मै रह गई प्यासी,कन्हैया मोरे छोड़ के मथुरा-काशीजिन नैनों में कृष्ण बसे हों,उन नैनों में कौन समाये,नैना...