हिंदी-मैथिली की वरिष्ठ लेखिका उषाकिरण खान अपने नए उपन्यास अगनहिंडोला पर चर्चा कर रही थीं। बातचीत कर रहे थे रांची दूरदर्शन के पूर्व निदेशक प्रमोद कुमार झा। नई-नई जानकारियों के वर्क खुल रहे थे। महज पांच साल के शासन काल में शेरशाह सूरी ने क्या इतिहास रचा था? इस छो...
पोस्ट लेवल : "किरण"

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* पर्यावरण विमर्श:जीवनदात्री वनस्पति -प्रो. किरण श्रीवास्तव, रायपुरजैविक सत्ता के चारों ओर परिवेश की संज्ञा पर्यावरण है। विश्व के सब ओर परिव्याप्त महाकाश के अभिन्न अंग वायु, प्रकाश, ध्वनि, जल तथा शून्य का समन्वय ही पर्यावरण है। ब्रम्हांड के जीव-जंतुओं की पारस्...

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पति की व्यस्तता से परेशान पत्नी किट्टी पार्टी तो कभी महिला मंडल की सदस्य बन मॉडर्न होने का दंभ भरते हुए समय व्यतीत कर रही थी। बच्चे पहले ही पंख लगा घोंसले से फुर्र हो चुके थे। मॉडर्न पत्नी एकाएक इस जीवनशैली से ऊबने लगी। डूबते का सहारा ऊपरवाले, सो उसने भगवान की भक्त...

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कोई औरत कब पूरी होती है ? इसका अंदाजा लगाना हो तो आप सुरेन्द्र वर्मा के लिखे इस नाटक को पढ़ लीजिए और अगर पढ़ने में आनंद नहीं आता तो कम से कम इस फिल्म को देख लीजिए । सुरेन्द्र वर्मा ने यह नाटक ‘सूर्य की अंतिम किरण से सूर्य की पहली किरण तक’ 1975 में लिखा था जिसे आज तक...

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अपने बचपन का सफ़र याद आयामुझको परियों का नगर याद आयाजो नहीं था कभी मेरा अपनाक्यूँ मुझे आज वो घर याद आयाकोई पत्ता न हिले जिसके बिनारब वही शामो ए सहर याद आयाइतना शातिर वो हुआ है कैसेहै सियासत का असर याद आयारोज़ क्यूँ सुर्ख़ियों में रहता हैहै यही उसका हुनर याद आयाजब...

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दादी का बागीचा समृद्ध था। केला, पपीता, नींबू और आँवले के पेड़ थे। नींबू खूब फलता। चोरी होने के भय से नींबू काँटों की बाड़ से घिरे थे। भोजन के वक्त जितने पुरुष थे उतना ही फाँक के हिसाब से तोड़कर रसोई में पहुँचाये जाते। दोनों किनारे वाले तीनों पुरुषों को और बीच वाले भाग...

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बाग जैसे गूँजता है पंछियों सेघर मेरा वैसे चहकता बेटियों सेघर में आया चाँद उसका जानकर वोछुप के देखे चूड़ियों की कनखियों सेक्या मेरी मंज़िल मुझे ये क्या ख़बरकह रहा था फूल इक दिन पत्तियों सेदिल का टुकड़ा है डटा सीमाओं परसूना घर चहके है उसकी चिट्ठियों सेबंद घर देखा जो उसने...

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कैसा दौर आया हैआजकलजिधर देखो उधरहवा गर्म हो रही हैआया था चमन मेंसुकून की सांस लेनेवो देखो शाख़-ए-अमन परफ़ाख़्ता बिलख-बिलखकर रो रही है।दोस्ती का हाथबढ़ाया मैंने फूलों की जानिबनज़र झुकाकर फेर लिया मुँहशायद नहीं है वक़्त मुनासिबसितम दम्भ और दरिंदगी के सर...

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केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू अ विसिनरी सेंट वेनेरेबल कुशक बकुला रिनपोछे के जीवन पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में फोटोग्राफी प्रदर्शनी31 दिसंबर तक चलेगी प्रदर्शनी (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कल...

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महीने भर इंतज़ार करवाया उषाकिरण ने, लेकिन आज जब उनकी पोस्ट देखी, तो मन बल्लियों उछलने लगा। आप भी देखें क्या लिखा उन्होंने।बातों वाली गलीलम्बे इंतजार के बाद आज कासिद ने “बातों वाली गली” लाकर दी..बेसब्री से पैकिंग फाड़फूड़ कर फेंकी..उलटी-पलटी..सुंदर कवर ,हाथ में...