सॉनेटसदा सुहागिन•खिलती-हँसती सदा सुहागिन।प्रिय-बाहों में रहे चहकती।वर्षा-गर्मी हँसकर सहती।।करे मकां-घर सदा सुहागिन।।गमला; क्यारी या वन-उपवन।जड़ें जमा ले, नहीं भटकती।बाधाओं से नहीं अटकती।।कहीं न होती किंचित उन्मन।।दूर व्याधियाँ अगिन भगाती।अपनों को संबल दे-पाती।जीवट क...
पोस्ट लेवल : "कुंडलिया"

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मुक्तिकाखोली किताब।निकले गुलाब।।सुधियाँ अनेकलाए जनाब।।ऊँची उड़ान भरते उकाब।।है फटी जेबफिर भी नवाब।।छेड़ें न लोगओढ़ो नकाब।।दाने न चारदेते जुलाब।।थामो लगामपैरों रकाब।।***४-२-२०२२मुक्तिका•मुस्कुराने लगे।गीत गाने लगे।।भूल पाए नहींयाद आने लगे।।था भरोसा मगरगुल खिलान...

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कार्यशालादोहा से कुंडलियासंजीव वर्मा 'सलिल', *पुष्पाता परिमल लुटा, सुमन सु मन बेनाम।प्रभु पग पर चढ़ धन्य हो, कण्ठ वरे निष्काम।।चढ़े सुंदरी शीश पर, कहे न कर अभिमान।हृदय भंग मत कर प्रिये!, ले-दे दिल का दान।।नयन नयन से लड़े, झुके मिल मुस्काता।प्रणयी पल पल लुटा, प...

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पूजा प्रथम गणेश की, संकट देती टाल।रिद्धि सिद्धि के नाथ ये, गज का इनका भाल।गज का इनका भाल, पेट है लम्बा जिनका।काया बड़ी विशाल, मूष है वाहन इनका।विघ्न करे सब दूर, कौन ऐसा है दूजा।भाद्र शुक्ल की चौथ, करो गणपति की पूजा।।बासुदेव अग्रवाल 'नमन'तिनसुकिया05-09-2016

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*कुंडलिया वादे कर जो भुला दे, वह खोता विश्वास.ऐसे नेता से नहीं, जनता को कुछ आस.जनता को कुछ आस, स्वार्थ ही वह साधेगा.भूल देश-हित दल का हित ही आराधेगा.सलिल कहे क्यों दल-हित को जनता पर लादे.वह खोता विश्वास भला दे जो कर वादे १९-१२-२०१७ *शिवमय दोहे ल...

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कर्मठता नहिँ त्यागिए, करें सदा कुछ काम।कर्मवीर नर पे टिका, देश धरा का नाम।देश धरा का नाम, करें वो कुल को रौशन।कर्म कभी नहिँ त्याग, यही गीता का दर्शन।कहे 'बासु' समझाय, करो मत कभी न शठता।सौ झंझट भी आय, नहीं छोड़ो कर्मठता।।बासुदेव अग्रवाल 'नमन'तिनसुकिया21-12-16

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कार्य शाला कुंडलिया = दोहा + रोला *दर्शन लाभ न हो रहे, कहाँ लापता हूर? नज़र झुकाकर देखते/ नहीं आपसे दूर। . नहीं आपसे दूर, न लेकिन निकट समझिये उलझ गयी है आज पहेली विकट सुलझिए 'सलिल' नहीं मिथलेश कृपा का होता वर्षण तो कैसे श्री राम सिया का करते दर्शन?***http://di...

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कार्यशालादोहा से कुंडलिया*पोर पोर में है थकन, दर्द दर्द मे तानमन को धक्का मारते, सपने कुछ शैतान। -शशि पुरवारसपने कुछ शैतान, नटखटी बचपनवालेजरा बड़े हम हुए, पड़ गए उन पर ताले'सलिल' जी सकें काश!, होकर भाव विभोरखट्टी अमिया तोड़, खा नाचे हर पोर - संजीवhttp://divya...

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कुंडलिया *विधान: एक दोहा + एक रोलाअ. २ x १३-११, ४ x ११-१३ = ६ पंक्तियाँआ. दोहा का आरंभिक शब्द या शब्द समूह रोला का अंतिम शब्द या शब्द समूहइ. दोहा का अंतिम चरण, रोला का प्रथम चरण*परदे में छिप कर रहे, हम तेरा दीदार।परदा ऐसा अनूठा, तू भी सके निहार।।तू भी सके निहा...