ब्लॉगसेतु

sanjiv verma salil
0
सॉनेटशारद वंदना•शारदे! दे सुमति कर्म कर।हम जलें जन्म भर दीप बन।जी सकें जिंदगी धर्म कर।।हो सुखी लोक, कर कुछ जतन।।हार ले माँ! सुमन अरु सुमन।हार दे माँ! क्षणिक, जय सदा।हो सकल सृष्टि हमको स्वजन।।बेहतर कर सकें जो बदा।।तार दे जो न टूटें कभी।श्वास वीणा बजे अनहदी।प्यार दे,...
sanjay krishna
0
राधाकृष्णकहा है कि मानव शरीर का संचालन उसका मस्तिष्क करता है, मगर मनुष्य के मस्तिष्क का संचालन कौन करता है? मनोविज्ञान के इस रहस्य को कोई नहीं जान पाया, लेकिन मुझे मालूम हो गया है कि पत्नियों के द्वारा ही मानव-मस्तिष्क का संचालन हुआ करता है। कम से कम मंटू बाबू के व...
अनंत विजय
0
लता मंगेशकर लगातार को भक्ति के पद गाने में बहुत आनंद आता था। उन्होंने मीरा के कई पद गाए। उनको जयदेव का गीत गोविन्द भी बेहद प्रिय था। लता मंगेशकर बचपन से ही कृष्ण के प्रति आकर्षित रहती थीं। बाद में जब मीरा, सूरदास और जयदेव के पदों को पढ़ा तो उनकी कृष्ण में आस्था और...
अनंत विजय
0
लंबे समय से साहित्यिक बैठकों या साहित्यिक सम्मेलनों में कुबेरनाथ राय की चर्चा सुनता रहा था। उनके निबंधों की खूब चर्चा होती थी। कई लोग तो उनके निबंधों को जमकर तारीफ करते हैं । उनके निबंध में शब्दों के चयन को रेखांकित करते हुए भारतीय ज्ञान परंपरा के ध्वजवाहक के रूप म...
sanjiv verma salil
0
ॐविश्व वाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुरhttps://meet.google.com/rsx-mnhd-nmi गूगल मीट पर जीवंत गोष्ठीदिनांक १५ फरवरी सोमवारसमय दोपहर ३ बजे से ५:०० बजे तक।विषय - मेरी दृष्टि में कृष्ण।(श्री कृष्ण / गीता पर मनन-चिंतन, भजन, कविता , लोकगीत, चर्चा आदि)समय...
 पोस्ट लेवल : कृष्ण विमर्श
sanjiv verma salil
0
एक रचना कृष्ण कौन हैं?*कौन बताए कृष्ण कौन हैं?समय साक्षी; स्वयं मौन हैं। कौन बताए कृष्ण कौन हैं?*कृष्ण पीर हैं,दर्द-व्यथा की अकथ कथा हैं।  कष्ट-समुद ही गया मथा हैं। जननि-जनक से दूर हुए थे,विवश पूतना, दुष्ट बकासुर,तृणावर्त, यमलार्ज...
 पोस्ट लेवल : कृष्ण कौन हैं?
sanjiv verma salil
0
आचार्य कृष्णकान्त चतुर्वेदी जी भारतीय मनीषा के श्रेष्ठ प्रतिनिधि, विद्वता के पर्याय, सरलता के सागर, वाग्विदग्धता के शिखर आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी जी का जन्म १९ दिसंबर १९३७ को हुआ। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी की निम्न पंक्तियाँ आपके व्यक्तित्व पर सटीक...
sahitya shilpi
0
अबिरहा सम्राट पद्मश्री हीरालाल यादव के तैल चित्र व 'नागरी' पत्रिका का लोकार्पण [साहित्य समाचार]  लोकगीतों में बिरहा को विधा के तौर पर हीरालाल यादव ने दिलाई पहचान - पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव भारतीय संस्कृति में लोकचेतना का बहुत महत्त्व है और लोकगायक इस...
Saransh Sagar
0
वसुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनम् |देवकी परमानंदं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ‖अतसी पुष्प संकाशं हार नूपुर शोभितम् |रत्न कंकण केयूरं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ‖कुटिलालक संयुक्तं पूर्णचंद्र निभाननम् |विलसत् कुंडलधरं कृष्णं वंदे जगद्गुरम् ‖मंदार गंध संयुक्तं चारुहासं चतुर्भ...
sanjiv verma salil
0
krishnotsavmagzine20@gmail.com आलेख :द्वापरकालीन सामाजिक व्यवस्था और कृष्ण आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' *उत्तर वैदिक काल के अंत से लेकर बुध्द काल को द्वापर या महाभारत काल कहा जाता है। इस काल में समाज का आधार संयुक्त परिवार था। परिवारों के समूह ग्राम थे...