ब्लॉगसेतु

मधुलिका पटेल
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-1- मेरे दस्तावेज़ों में तू अब भी ज़िंदा है मैंने अपना अतीत और वर्त्तमान सब तेरे नाम की वसीयत में जो लिखा है ~~~~~ -2-इतनी रफ़्तार से तुम आशियाने मत बदलो दरवाज़े पे बस इतना लिख देना की तुमने अपने आप को तब...
मधुलिका पटेल
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 उसने पेपर पर और मैंने माँ के हाथ पर कर दिए दस्तखत और हमें मिल गयी अपने अपने हिस्से की दौलत ~हर दिन डरती थी तुम्हे खोने से पर अब देखो जब से तुम गए हो ये डर भी खामोशी से बिना बताये कहाँ चला गयापता नहीं ~मेर...
Bhavana Lalwani
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लड़की एक  बार फिर से उसी  झील के किनारे बैठी है।  पानी में पैर  डुबोने  और छप  छप करें , का ख्याल आया लेकिन गंदले और काई जमे किनारे ने उसे दूर से ही छिटका दिया। पानी अब बहुत दूर तक खिसक गया था , झील के किनारे वाला हिस्सा सूख गया लगता है...
ANITA LAGURI (ANU)
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नंदू नंदू दरवाजे की ओट से,निस्तब्ध मां को देख &#2...
PRABHAT KUMAR
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मेरी खामोशी को तीर बना कर न रख देनामैं छलनी छलनी हो जाऊंगा आहिस्ता आहिस्ताकिसी की आन पर है कोई बात मगरकिसी की शान पर भी है कोई डगरबेदर्दी के आलम में मजबूर बना कर न रख देनाPrabhat Prabhakar
मधुलिका पटेल
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उसने रोकना नहीं चाहाउसे रुकना नागवार लग रहा थाबहुत दिनों पहले कांच टूट चुका थागाहे बगाहे चुभ जाता गल्‍ती सेपर सोच रही हूंइसे फेंका क्‍यों नहींपर ये किसी कूड़ेदान तकनहीं ले जाया जा सकताक्‍यों ऐसा क्‍या है ?मन के भारीपन सेज्‍यादा भारी तो नहीं होगाये रिश्तों की किरचें...
Mahesh Barmate
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सुनों..!एक "मौन" सी कहानी हैकुछ खामोशियाँ हैं मेरे जेहन मेंजो चीखती हैंबिन आवाज के..।देखो!आज कागज पे रख ही दिया मैंनेअपने अंदर के उस "मौन" कोके कहीं गुम न जायेइसीलिएशब्दों में पिरो के..।पढ़ो!आज तुम इस "मौन" कोके शायद ये शब्द भी छू लेंतुम्हारे दिल के तारों को..।फिर द...
सुशील बाकलीवाल
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कहाँ पर बोलना है और कहाँ पर बोल जाते हैंजहाँ खामोश रहना है वहाँ मुँह खोल जाते हैंनयी नस्लों के ये बच्चे जमाने भर की सुनते हैंमगर माँ बाप कुछ बोले तो बच्चे बोल जाते हैफसल बर्बाद होती है तो कोई कुछ नही कहताकिसी की भैंस चोरी हो तो सारे बोल जाते हैंबहुत ऊँची दुकानो मे...
मधुलिका पटेल
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तुमने बड़ी खामोशी से लौटाए कदमपर मेरे दिल पर दस्तक हो ही गई मेरे हमदम आते हुए कदमों में एक जोश थालौटता हुआ हर कदम ख़ामोश था वो शिकायतों की गिरह ख़ोल तो देता जो तूने अपने मन में बांधी थीदो लफ़जों में बोल तो देतानासूर जो तूने बिना वजह पालेउसकी दवा मुझस...
PRABHAT KUMAR
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तुम्हे मेरी खामोशी पढ़ने का तजुर्बा जब भी होगा!तुम्हे मेरी खामोशी पढ़ने का तजुर्बा जब भी होगातो ये दुनियां मुझसे मिलने को बेताब बहुत होगीमैं निकल चुका होऊंगा हजारों का सहारा बन कर तब जब दुनियां बेसहारा बनकर मुझे ढूंढ रही होगी घुमड़ते बादल के नजारे देख कर खुशी होती तो...