ब्लॉगसेतु

दीपक कुमार  भानरे
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रियल लाइफ के अभिनय की ख़त्म कर कहानी ।आसमान के परदे में जा मिली एक और चांदनी ।बेशक हर लम्हे हमें उनकी कमी पड़ेगी सहनी ।कला जगत के लिए यह तो क्षति है अपूरणीय ।अब तो अभिनय के लिये पर्दा होगा आसमानी ।जहां संग होंगे बॉलिवुड के कलाकार रूहानी ।खुदा गवाह है की वे अदाकारा थी...
विजय राजबली माथुर
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स्पष्ट रूप से पढ़ने के लिए इमेज पर डबल क्लिक करें (आप उसके बाद भी एक बार और क्लिक द्वारा ज़ूम करके पढ़ सकते हैं )  पंजाब की कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे और खालिस्तान आंदोलन का विरोध करने के कारण शहीद हुये लाला जगत नारायण द्वारा स्थापित अखबार द्वारा गलत दलील प...
विजय कुमार सप्पत्ति
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मिलना मुझे तुम उस क्षितिज परजहाँ सूरज डूब रहा हो लाल रंग मेंजहाँ नीली नदी बह रही हो चुपचापऔर मैं आऊँ निशिगंधा के सफ़ेद खुशबु के साथऔर तुम पहने रहना एक सफेद साड़ीजो रात को सुबह बना दे इस ज़िन्दगी भर के लिएमैं आऊंगा जरूर ।तुम बस बता दो वो क्षितिज है कहाँ प्रिय ।© विजय
विजय कुमार सप्पत्ति
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चल वहां चल ,किसी एक लम्हे में वक़्त की उँगली को थाम कर !!!!जहाँ नीली नदी खामोश बहती होजहाँ पर्वत सर झुकाए थमे हुए होजहाँ चीड़ के ऊंचे पेड़ चुपचाप खड़े होजहाँ शाम धुन्धलाती न होजहाँ कुल जहान का मौन होजहाँ खुदा मौजूद हो , उसका करम होजहाँ बस तू होचल वहाँ चलकिसी एक लम्हे म...
विजय कुमार सप्पत्ति
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||| सज़दा |||आज कहीं भी किसी स्त्री के साथ बलात्कार नहीं हुआ,आज कहीं भी किसी औरत के साथ हिंसा नहीं हुई,आज कहीं भी किसी लड़की की भ्रूण हत्या नहीं हुई,......................................... ख़ुशी से हैरान ख़ुदा; आज पहली बार आदमी के सज़दे में झुका हुआ है !!!वि ज य ........
विजय कुमार सप्पत्ति
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मैं खुदा के सजदे में था ;जब तुमने कहा, ‘मैं चलती हूँ !’.......इबादत पूरी हुई ................मोहब्बत ख़त्म हुई ..............................और ज़िन्दगी ?वि ज य
विजय राजबली माथुर
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स्पष्ट रूप से पढ़ने के लिए इमेज पर डबल क्लिक करें (आप उसके बाद भी एक बार और क्लिक द्वारा ज़ूम करके पढ़ सकते हैं ) Dhruv Gupt15-010-2016 · हमीं से मोहब्बत, हमीं से लड़ाई ! : अभी-अभी बृन्दावन में आयोजित नास्तिकों के सम्मेलन और वहां के कुछ धार्मिक स...
विजय कुमार सप्पत्ति
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हे दुनिया के लोगो ,जिस दुनिया को हमने बनाया है और जब हम सब एक है तो तुम सब अलग अलग कैसे हो सकते हो . कौन सा धर्म और मज़हब......हमने तो इंसान बनाकर दुनिया में तुम्हे भेजा था तुम हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई और पता नहीं क्या क्या हो गए हो....एक बार फिर से इंसान बनकर तो...
विजय कुमार सप्पत्ति
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एक ज़िन्दगीऔर कितने सारे ख्वाबबस एक रात की सुबह का भी पता नहीं .... कितनी किताबे पढना है बाकीकितने सिनेमा देखना है बाकीकितने जगहों पर जाना है बाकीहक़ीकत में एक पूरी ज़िन्दगी जीना है बाकी ! एक ज़िन्दगीऔर कितने सारे ख्वाबबस एक रात की सुबह का भी पता नहीं .... © विजय
विजय कुमार सप्पत्ति
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उस दिन जब मैंने तुम्हारा हाथ पकड़ातुमने उस हाथ को दफना दिया अपनी जिस्म की जमीन मेंऔर कुछ आंसू जो मेरे नाम के थे , उन्हें भी दफना दिया अपनी आत्मा के साथअब तुम होऔर मैं हूँइश्क खुदा के आगोश में चुपचाप बैठा हैऔर हम बहुत दूर हैखुदा ने एक कब्र बनायीं है ,तुम्हारी और...