ब्लॉगसेतु

Bhavana Lalwani
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"An Exotic Woman, A Delusional Woman, asking for Attention."  This is how I would like to start  my Blabber.कुछ दो या तीन बरस हुए मुझे मेरे जन्मदिन पर एक नोटबुक तोहफे में मिली, जिसका कवर देखते ही मेरा मन उस पर अटक गया।  और साहब यह लीजिये उस कवर पर जो...
रवीन्द्र  सिंह  यादव
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सिंधु तट पर एक सिंदूरी शाम गुज़र रही थीथी बड़ी सुहावनी  लगता था भानु डूब जाएगा अकूत जलराशि में चलते-चलते बालू पर पसरने का मन हुआ भुरभुरी बालू पर दाहिने हाथ की तर्जनी से एक नाम लिखा सिंधु की दहाडतीं...
रवीन्द्र  सिंह  यादव
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ऐ धूप के तलबगार तुम्हारी गली तो छाँव की दीवानी हैकम-ओ-बेश यही हर शहर की कहानी हैधूप के बदलते तेवर ऐसे हुए ज्यों तूफ़ान में साहिल की उम्मीद  धूप की ख़्वाहिश में अँधेरी गलियाँ कब हुईं ना-उम्मीदधूप के रोड़े हुए शहर में सरसब्ज़ शजर के साथ बहुम...
रवीन्द्र  सिंह  यादव
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 तुच्छताओं को स्थाई स्थान ढूँढ़ना था तो राजनीति में समा गईंहताशाओं को तलाश थी मुकम्मल ठिकाने की तो कापुरुष में समा गईंचतुराई चपला-सी चंचल भविष्य बनाने निकली तो बाज़ारों की रौनक में बस गई जीने की चाह भटकती रही सन्नाटों...
रवीन्द्र  सिंह  यादव
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 मढ़ा अब कहीं नहीं दिखता माटी की भीतों का अँधेरा कमरा था बिना झरोखों का होता बिना दरवाज़ों के घरों में आँगन में सूखते अनाज को भेड़ -बकरियाँ खा जातीं माँ को एक उपाय सूझा तीन सूखीं-सीधीं  बल्लियाँ  मँगवाईं एक बल्ली के ए...
अनंत विजय
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कोरोना के संकट के दौरान पुस्तकें पढ़कर समय बिताना एक बेहतर विकल्प है। बाजार आदि भले ही खुल गए हैं लेकिन बहुत आवश्यक होने पर ही वहां जाना होता है। लोगों से मिलने-जुलने वाली संस्कृति पर भी फिलहाल विराम लगा हुआ है। पिछले करीब अस्सी दिन में कई किताबें पढ़ने का सुयोग बन...
रवीन्द्र  सिंह  यादव
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जामिया मिलिया इस्लामियाविश्वविद्यालय दिल्ली कीलायब्रेरी में दिल्ली पुलिस नेअपने बर्बर दुस्साहस के साथअध्ययनरत शिक्षार्थियों परक्रूरतम लाठीचार्ज कियाएक ओर जब दर्द से कराह रहे हैं युवातब समाज का एक तबकाअपनी अपार ख़ुशी ज़ाहिर कर रहा हैक्योंकि धर्म विशेष के लोगों कोपूर्व...
रवीन्द्र  सिंह  यादव
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अरे! सुनो विद्यार्थियो! क्यों सड़कों परअपना ख़ून बहा रहे हो अपनी हड्डियाँ तुड़वा रहे होअपनी खाल छिलवा रहे हो पुलिस की लाठियाँ खा रहे हो पुलिस की लातें खा रहे हो क्यों सामान के बोरे-सा ढोये जा रहे हो चार-छह बेरहम पुलिसकर्मियों के हाथोंक्यो...
रवीन्द्र  सिंह  यादव
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तिमिर भय नेबढ़ाया हैउजास से लगाव,ज्ञानज्योति नेचेतना से जोड़ातमस कास्वरूपबोध और चाव।घुप्प अँधकार मेंअमुक-अमुक वस्तुएँपहचानने का हुनर,पहाड़-पर्वतकुआँ-खाईनदी-नालेअँधेरे में होते किधर?कैसी साध्य-असाध्यधारणा है अँधेरा,अहम अनिवार्यता भी हैसृष्टि में अँधेरा।कृष्णपक्ष कीविकट...
रवीन्द्र  सिंह  यादव
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सुनो मेघदूत!अब तुम्हें संदेश कैसे सौंप दूँ, अल्ट्रा मॉडर्न तकनीकी से, गूँथा गगन ग़ैरत का गुनाहगार है अब, राज़-ए-मोहब्बत हैक हो रहे हैं!हिज्र की दिलदारियाँ, ख़ामोशी के शोख़ नग़्मे, अश्क़ में भीगा गुल-ए-तमन्ना, फ़स्ल-ए-बहार में, दिल की धड़क...