मैं शायद उस वक़्त दसवीं या बारहवीं में होऊंगा जब पहली बार स्थानीय आर्य समाज के डेरे पर एक प्रसिद्ध महात्मा की कथा सुनने गया। वहां मैंने पहली बार रिशी दयानंद की चूहे वाली कथा सुनी और काफ़ी प्रभावित हुआ। मेरी सोच और व्यवहार वैसे भी दूसरों से आसानी से नहीं मिलते थे शाय...
पोस्ट लेवल : "चूहे"

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चूहे जी पा गए छुहाराकुतर कुतर खाए वे साराचुहिया ने तब गुस्सा होकरखींच के झापड़ मुह पे माराबोली लालच बुरी बला हैअब मत करना यह दोबाराभूल गए क्या इतनी जल्दीसोनू को था दोस्त तुम्हाराफंसा था लड्डू की लालच मेंचूहेदानी में बेचारा---------- शिवशंकर

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मैं हूं बिल्ली मौसी बेटाआई तुमसे मिलनेदिल में प्यार भरा है मेरेलगे क्यों मुझसे डरनेदेखो तो ये चाकलेटगुब्बारे और खिलौने तुम लोगों की खातिर लाईतुम सब मेरे अपनेचूहे बोले प्यारी मौसीआई हो तुम छलनेडाल डाल तुम पात पात हमसच ना होंगे सपनेफ्लाइंग किस दे रहे तुम्हेबिल क...

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चूहे देखने में छोटन लगें ज्यों नाविक के तीर पर किसी से डरते नहीं हैं चूहे। वे चूहे ही क्या जो नेताओं से पीछे रहें। चूहे न नेताओं से पीछे रहते हैं और न ही उनके पीछे लगते हैं। माना कि नेताओं की तूती वब जगह बोलती है पर एक चूहे ने उत्तम प्रदेश के मुख्यमंत्री की प्र...

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चूहे अनाज खा गए नेता नजर चुरा रहे

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एक न छिपकली थी , उसके बहुत सारे फ़्रैण्डस थे ।पता है उसके फ़्रैण्ड्स कौन थे ?कौन थे ...?चूहे...... चूहे छिपकली के फ़्रैण्डस थे ...?हां , और वो सब मिलकर रहते थे । उनके घर के पास न एक स्नेक भी रहता था ।उन्हें डर नहीं लगता था स्नेक से ।लगता था , स्नेक हर रोज चूहो...