– जनकवि स्व.कोदूराम ”दलित”श्रम का सूरज उगा, बीती विकराल रात,भागा घोर तम, भोर हो गया सुहाना है.आलस को त्याग–अब जाग रे श्रमिक, तुझेनये सिरे से नया भारत सिरजाना है.तेरे बल- पौरुष की होनी है परीक्षा अबविकट कमाल तुझे करके दिखाना है.आया है सृजन-काल, जाग रे सृजनहार,जा...