भावांजलिबहुमुखी प्रतिभा की धनी डॉक्टर इला घोषडॉ. साधना वर्मा*[लेखक: डॉ. साधना वर्मा, प्राध्यापक अर्थशास्त्र विभाग, शासकीय मानकुँवर बाई कला वाणिज्य स्वशासी महिला महाविद्यालय जबलपुर। ]*मस्तिष्क में सहेजी पुरानी यादें किताब के पृष्ठों पर टंकित कहानियों की तरह होती हैं...
पोस्ट लेवल : "डॉक्टर"

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दलित समाज में अज्ञानी समाज सुधारकों से है ज्यादा खतरा संजीव खुदशाह आमतौर पर दो प्रकार के डॉक्टर होते हैं। पढ़े-लिखे एमबीबीएस डिग्री धारी डॉक्टर और अशिक्षित झोलाछाप डॉक्टर। मूर्ख या अज्ञानी के लिए यह दोनों डॉक्टर एक समान है। इन्हें इनमें अंतर ढूंढने की क्षमता नहीं ह...

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राष्ट्रनायक का यही संदेशा, जन जन से कहना हैघर में रहना ,घर में रहना, घर में ही रहना हैरक्षक डॉक्टर, नर्स ,सिपाहीमानवता की बने गवाहीधन्यवाद के पात्र यही हैं, हाथ जोड़ कहना हैघर में रहना ,घर में रहना, घर में ही रहना हैलॉक डाउन का समय है आयाअपनों का सँग हमने पायादादा,...

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मत छुओ मुख ,नाक, नयन, बार बार धो हाथ।अभिवादन कर दूर से, हाथ जोड़कर साथ।।मुख ढक खांसो, छींक लो, करो मनुज उपचार।डॉक्टर को जाकर मिलो ,चढ़ता अगर बुखार।।अब तुम मत लगना गले, नहीं मिलाना हाथ।करो नमस्ते प्यार से, सब जन देकर साथ।।बुरा ना मानो ,करोना है

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नृत्य नाटिकावाग्देवीडॉक्टर चन्द्रा चतुर्वेदी*[लेखिका परिचय - जन्म - १८ दिसंबर १९४५, पन्ना। आत्मजा - स्मृति शेष मोहनलाल नायक, जीवन साथी - आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी, शिक्षा- एम. ए. संस्कृत, "कालिदास और अश्वघोष के दार्शनिक सिद्धांतों का तुलनात्मक अध्ययन" पर शोधो...

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आज, 01 जुलाई को डॉक्टर्स डे है, ऐसी जानकारी हुई. डॉक्टर, यह एक ऐसा शब्द है जिससे हमारा सम्बन्ध बचपन से ही रहा है. बचपन से इसलिए क्योंकि हमारे मामा-मामी चिकित्सा क्षेत्र से ही रहे हैं. मामी जनपद जालौन मुख्यालय उरई में स्थित जिला चिकित्सालय में कार्यरत थीं और मामा उर...

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इसीलिए खड़ा रहा कि तुम मुझे पुकार लो!तिमिर-समुद्र कर सकी न पार नेत्र की तरी,विनष्ट स्वप्न से लदी, विषाद याद से भरी,न कूल भूमि का मिला, न कोर भोर की मिली,न कट सकी, न घट सकी विरह-घिरी विभावरी,कहाँ मनुष्य है जिसे कमी खली न प्यार की,इसीलिए खड़ा रहा कि तुम मुझे दुलार लो!उ...

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अमृतसर में रावण पुतला दहन के दौरान हुए रेल दुर्घटना में सैकड़ों लोगों के मारे जाने पर हरिवंशराय बच्चन की लिखी यह कविता आज के दौर में प्रासंगिक लगी। आप सभी के लिए पेश है :......ना दिवाली होती और ना पठाखे बजतेना ईद की अलामत, ना बकरे शहीद होतेतू भी इन्स...

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अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है? गगन में गर्व से उठउठ, गगन में गर्व से घिरघिर,गरज कहती घटाएँ हैं, नहीं होगा उजाला फिर,मगर चिर ज्योति में निष्ठा जमाए कौन बैठा है?अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है?प्रलय का सब समां बांधे, प्रलय की रात है छाई,विनाशक शक्तिय...