ब्लॉगसेतु

zeashan zaidi
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 ‘‘क्या मुसीबत है। इस कार को भी यहीं खराब होना था।’’ विवेक ने इग्नीशन में चावी घुमायी लेकिन कार का इंजन हर बार एक घरघराहट की आवाज करने के बाद खामोश हो गया। उसकी बगल में बैठी उसकी पत्नी के चेहरे पर भी चिंता की लकीरें उभर आयी थीं। अभी तक आराम से चलने से चलने वाल...
jaikrishnarai tushar
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  चित्र -साभार गूगल एक ग़ज़ल -मढ़ेंगे किस तरह इस मुल्क की तस्वीर सोने में मढ़ेंगे किस तरह भारत की हम तस्वीर सोने में लगे हैं मुल्क के गद्दार सब जादू औ टोने में यहाँ हड़ताल और धरना भी प्रायोजित विदेशों से पड़ोसी मुल्क से आती है बिरयानी भ...
jaikrishnarai tushar
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 चित्र -साभार गूगल एक ग़ज़ल -मढ़ेंगे किस तरह इस मुल्क की तस्वीर सोने में मढ़ेंगे किस तरह भारत की हम तस्वीर सोने में लगे हैं मुल्क के गद्दार सब जादू औ टोने में यहाँ हड़ताल और धरना भी प्रायोजित विदेशों से पड़ोसी मुल्क से आती है बिरयानी भगोने म...
Yashoda Agrawal
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sanjiv verma salil
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 समस्या पूर्ति 'हिंदी की तस्वीर' 'हिंदी की तस्वीर' शब्दों का उपयोग करते हुए पद्य की किसी भी विधा में रचना टिप्पणी के रूप में प्रस्तुत करें। *हिंदी की तस्वीर के, अनगिन उजले पक्ष जो बोलें वह लिख-पढ़ें, आम लोग, कवि दक्ष *हिदी की तस्वीर में, भारत एकाकार फूट डाल क...
मधुलिका पटेल
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वर्षो बाद बरसात की रातअजब इत्तेफाक की बातरात के पहर दस्तकदरवाज़े पर था कोई रहवरजैफ ने पनाह मांगीमेरे घर के चरागों मेंरौशनी बहुत कम थीपरफ्यूम की खुशबु जानी पहचानी थीपर उसकी अवारगी और कुछ खोजती निगाहें.. मेज़ पर रखी काॅफी कोजब उसने झुक कर उठायारेनकोट के...
shashi purwar
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  @page { margin: 2cm } p { margin-bottom: 0.25cm; line-height: 120% } आखिर कब तक दर्द सहेंगी क्यों मरती रहेंगी बेटियाँअपराधों के बढते साएपन्नों सी बिखरती बेटियाँकौन बचाएगा बेटी कोभेड़ियों और खूंखार सेनराधर्म की उग्र क्रूरतादरिंदों और हत्यारों सेभ...
Yashoda Agrawal
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घर में माँ की कोई तस्वीर नहीजब भी तस्वीर खिचवाने का मौका आता हैमाँ घर में खोई हुई किसी चीज को ढूंढ रही होती हैया लकड़ी घास और पानी लेने गई होती हैजंगल में उसे एक बार बाघ भी मिलापर वह डरी नहीउसने बाघ को भगाया घास काटी घर आकरआग जलाई और सबके लिए खाना पकायामई कभी घास य...
shashi purwar
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चला बटोही कौन दिशा मेंपथ है यह अनजाना जीवन है दो दिन का मेलाकुछ खोना कुछ पानातारीखों पर लिखा गया हैकर्मों का सब लेखापैरों के छालों को रिसते कब किसने देखाभूल भुलैया की नगरी मेंडूब गया मस्तानाजीवन है दो दिन का मेलाकुछ खोना कुछ पानामृगतृष्णा के गहरे बादलहर पथ पर छितरा...
kuldeep thakur
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सादर अभिवादनसखी किसी काम से बाहर हैसो आज हम हैंनपी-तुली रचनाएँ लेकरसर्व प्रथम कालजयी रचनाएँ..दीदी सुनीता शानूतस्वीर तुम्हारी...सचमुच तुमसे मिलकर जिन्दगीएक कविता बन गई हैऔर मै एक कलमजो हर वक्ततुम्हारे प्यार की स्याही सेबनाती है तस्वीर तुम्हारी...।आदरणीय सूरज जीतस्वी...
 पोस्ट लेवल : तस्वीर 1493