ब्लॉगसेतु

ललित शर्मा
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शरद  कोकास
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कल उड़न तश्तरी पर समीर भाई के सुभाषित का आनंद ले रहा था कि उनके एक सुभाषित पर नज़र पड़ी ..”प्रशंसा और आलोचना में वही फर्क है जो सृजन और विंध्वस में “ अरे.. मैने कहा यह तो मेरे ब्लॉग के काम की चीज़ है । याद आया अभी पिछले दिनों मैने एक पोस्ट में महावीर अग्रवाल द्वा...