ब्लॉगसेतु

Ravindra Pandey
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अपने मुल्क़ की बेहतरी के ख़्वाब क्या देखूँ...यहाँ तो लोग, दिलों में दीवार रखते हैं।किसी मज़लूम की हालात से पसीजें ना भले...मग़र लाशों को, सब सरे बाज़ार रखते हैं।मची है होड़ क्यूँ, सब हैं अगर ये पैरोकार...भाई-भाई में फिर क्यों दरार रखते हैं।सिखाये जिसने हमें ककहरे तुतलाते...
अनीता सैनी
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आँधी को देखकर अक्सर मैं सहम-सी जाया करती थी धूल के कण आँखों में तकलीफ़ बहुत देते न चाहते  हुए भी वे आँखों में ही समा जाते समय का फेर ही था कि आँधी के बवंडर मे छाए अँधरे में भी किताबें ही थामे रखती थी हँसने वाले हँसते बहुत थेविचारों...
sanjiv verma salil
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नवगीत :संसद की दीवार परसंजीव*संसद की दीवार परदलबन्दी की धूलराजनीति की पौध परअहंकार के शूल*राष्ट्रीय सरकार कीहै सचमुच दरकारस्वार्थ नदी में लोभ कीनाव बिना पतवारहिचकोले कहती विवशनाव दूर है कूललोकतंत्र की हिलातेहाय! पहरुए चूल*गोली खा, सिर कटाकरतोड़े थे कानूनक्या सोचा था...
अनंत विजय
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हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के कोरोना से घिरे हॉटस्पॉट इलाके नवाबपुरा इलाके में गई पुलिस पर भीड़ ने हमला कर दिया। ‘दैनिक जागरण’ में एक तस्वीर छपी जिसमें पुलिसवालों को अपने सर के ऊपर टूटा हुआ दरवाजा रखकर जान बचाते दिखाया गया। ये पुलिसवाले कोरोना संक्रमित इल...
Kavita Rawat
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यही तो रास्ता है मेरे रोज गुजरने काएक बार, दो बार, रोज ......एक दिन अचानक नजरे मिली थी तुमसे वहाँतुम वहीं कहीं खड़ी थीसूरत तुम्हारी आज भी याद हैसूरज की रौशनी में ओंस की बूंदों की चमक लिएरोज यूँ ही देखा करता था तुम्हें गुजरते हुएउस घनी हरियाली के बीच,पत्थर पहाड़ों के...
Kajal Kumar
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अनीता सैनी
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 कुछ हर्षाते लम्हे अनायास ही मौन में मैंने धँसाये  थे  आँखों  के पानी से भिगो कठोर किया उन्हें  साँसों की पतली परत में छिपा ख़ामोश किया था जिन्हें फिर भी  हार न मानी उन्हो...
Kavita Rawat
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प्लीजेंट वैली राजपुर, देहरादून से प्रकाशित मासिक पत्रिका 'हलन्त' के अंक नवम्बर, 2019 में प्रकाशित मेरी रचना 'वीरानियाँ नहीं होती"जिंदगी में हमारी अगर दुशवारियाँ नहीं होतीहमारे हौसलों पर लोगों को हैरानियाँ नहीं होतीचाहता तो वह मुझे दिल में भी रख सकता थामुनासिब हरेक...
रवीन्द्र  सिंह  यादव
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वर्षों से दीवार पर टंगी तस्वीर से धूल साफ़ की आँखों में करुणा की कसक हया की नज़ाकत मुस्कान के पीछे छिपा  दर्द ये आज भी फीके कहाँ  चीज़ों की उम्र होती है प्रेम की कहाँ लेकिन आँखों ने इशारों में कहा ह...
Kailash Sharma
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    (1)चहरे पर जीवन केउलझी पगडंडियांउलझा कर रख देतींजीवन के हर पल को,जीवन की संध्या मेंझुर्रियों की गहराई मेंढूँढता हूँ वह पलजो छोड़ गये निशानीबन कर पगडंडी चहरे पर।    (2) होता नहीं विस्मृतछोड़ा था हाथज़िंदगी केजिस मोड़ पर।ठहरा है यादों का...