ब्लॉगसेतु

संतोष त्रिवेदी
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हाथी चींटी से कहे,तू ना समझे मोहि ।मेरे पांवों के तले,मौत मिलेगी तोहि ।।चींटी बोली नम्र हो,मद से मस्त न होय ।वंशहीन रावण हुआ,कंस न पाया रोय ।।मरने से बेख़ौफ़ हूँ ,चलती अपनी चाल ।हर पल जीती ज़िन्दगी,नहीं बजाती गाल ।।छोटी-सी काया मिली,इच्छाएँ भी न्यून ।छोटे-से आकाश...
अरुण कुमार निगम
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[दोहा – प्रथम और तृतीय (विषम) चरणों में 13 मात्राएँ. द्वितीय और चतुर्थ (सम) चरणों में  11 मात्राएँ . प्रत्येक दल में 24 मात्राएँ. अंत में एक गुरु ,एक लघु.]हिन्दी भारतवर्ष में ,पाय मातु सम मानयही हमारी अस्मिता और यही पहचान |बनी राजमाता मगर ,कर ना पाई राजमाता क...
 पोस्ट लेवल : दोहे – हिन्दी
girish billore
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 पोस्ट लेवल : दोहे
अरुण कुमार निगम
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[दोहा – प्रथम और तृतीय (विषम) चरणों में 13 मात्राएँ. द्वितीय और चतुर्थ (सम) चरणों में  11 मात्राएँ . प्रत्येक दल में 24 मात्राएँ. अंत में एक गुरु ,एक लघु.]मान और सम्मान की,नहीं कलम को भूखमहक  मिटे  ना  पुष्प  की , चाहे  जाये सूख |अक्ष...
shashi purwar
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1  सबसे कहे पुकार कर , यह वसुधा दिन रात   जितनी कम वन सम्पदा , उतनी कम बरसात .2   इन फूलो के देखिये , भिन्न भिन्न है नाम   रूप रंग से भी परे , खुशबु भी पहचान . 3 समय- शिला पर बैठकर , शहर बनाते चित्र    सूख गई जल की...
 पोस्ट लेवल : दोहे . हाइकु
संतोष त्रिवेदी
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भ्रष्टाचारी-बेल अब ,दिन प्रति बढ़ती जाय |साँस उखड़ती जा रही,आस गई कुम्हिलाय ।।रहे रहनुमा नाम के,देश बेंच कर खाँय ।जन्मभूमि की आबरू,देते रोज़ गवाँय ।।हवा और माटी कहे,मिली तुम्हारे खून।काहे के हो रहनुमा,झूठे सब कानून ।।सत्ता-मद में डूबकर ,भूल गए आच...
संतोष त्रिवेदी
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सावन झाँके  दूर से,बेबस है इंसान  ।कब तक सोखेगी धरा, धूप हुई हलकान ।।पढ़-लिख काया  बदल ली,बदले नहीं विचार ।कौआ  कोयल-भेष में,करता शिष्टाचार ।।शब्द अर्थ को खो रहे,भटक रहे हैं छंद।लिखते कुछ,होते अलग,ब्लॉगर-लेखक-वृन्द ।।तुलसी इस संसार में ,वही बड़ा...
 पोस्ट लेवल : सूखा समाज कविता दोहे
संतोष त्रिवेदी
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बादल हमको दे दगा,चले गए उस ओर |बिन बारिश दम सूखता,नहीं नाचते मोर || (१)धरती झुलसे उमस से,प्यासे पंछी मौन |दादुर दर्शन हैं कठिन,अब टर्राये कौन ? (२)सूखा सावन आ गया,गोरी खड़ी उदास |झूले खाली पड़े हैं,बिरवा बिना हुलास || (३)काया पत्थर की हुई,नहीं बरसते नैन |रूठे बादल-...
 पोस्ट लेवल : गर्मी कविता दोहे
संतोष त्रिवेदी
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बरगद बूढ़ा हो गया,सूख गया है आम |नीम नहीं दे पा रही,राही को आराम ||(१)कोयल कर्कश कूकती,कौए गाते राग |सूना-सूना सा लगे,बाबा का यह बाग ||(२)अम्मा डेहरी बैठकर ,लेतीं प्रभु का नाम |घर के अंदर बन रहे,व्यंजन खूब ललाम ||(३)आँगन में दिखते नहीं, गौरैया के पाँव |गोरी रोज़ मन...
 पोस्ट लेवल : गाँव.समाज कविता दोहे
jaikrishnarai tushar
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शायर -निदा फ़ाज़ली सम्पर्क -09869487139निदा फ़ाज़ली आधुनिक उर्दू शायरी के बहुत ही लोकप्रिय शायर हैं |यह शायर हिन्दी के पाठकों के लिए भी उतना ही सुपरिचित है जितना उर्दू के पाठकों के लिए |निदा फ़ाज़ली एक सूफ़ी शायर हैं रहीम ,कबीर और मीरा से प्रभावित होते हैं तो...