बड़े ज़माने बाद आज का दिन सुहाना सा लगा. शायद मार्च के बाद दिन भर की पहली आउटिंग थी ये हमारी. वैसे तो पिछले कुछ दिनों से पब्लिक प्लेसेस पर लोग जामा हो रहे थे और घूम रहे थे लेकिन हम अब तक सोच रहे थे कि ऐसे घूमना फिरना अच्छा रहेगा या नहीं. लेकिन आख़िरकार छः दिसम्बर के स...
पोस्ट लेवल : "पटना"

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महक बहुत अजीब होती है. नास्टैल्जिया लिए हुए अक्सर. हवाओं में सर्दियीं वाली खुशबु महसूस होने लगी है. घर में हूँ, पटना में... और पुराने अटैची से जाड़ो के कपड़े, रजाई निकाल लिए गए हैं... सूटकेस में बंद जाड़ों के कपड़ों से बड़ी अनोखी महक आती है, बहुत कुछ याद दिलाती है. बशी...

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पर्व त्यौहार तो इस साल क्या मानेंगे, कितनों के घरों से ख़राब ख़बरें मिल रही हैं. इस साल मेरा घर भी इस बुरे ख़बरों के साया से बच न सका और एक महीने के ही अन्दर परिवार में दो लोगों के सदा के लिए चले जाने की खबर ने सबको मायूस कर दिया. सोचा तो था कि इस साल पर्व त्यौहा...

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किसे पता था ये दिन भी देखना पड़ेगा.. आज दिल्ली के लिए वापसी हो रही थी और ऐसा लग रहा था जैसे फ्लाइट पर नहीं जाना है, मानो हम जंग पर निकल रहे हों. फ्लाइट जिस दिन था, उसके एक सप्ताह पहले तक ये इनफार्मेशन कलेक्ट कर रहे थे कि क्या क्या नए नियम हैं फ्लाइट से. लॉकडाउन...

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बस ऐसे ही जाना हो गया था उधर. कोई उद्देश्य नहीं था. सुबह ऑफिस जाते वक़्त माँ ने कहा था कि आज लौटते वक़्त झील के पास से होते आयेंगे. इस बात पर मेरी ख़ास प्रतिक्रिया नहीं थी. मैं ज्यादा एक्ससितेद नहीं था झील जाने की बात से. शायद होता भी एक्ससितेद, लेकिन वक़्त ऐसा ह...

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कल से जहाँ देश में लॉकडाउन खुल गया है, तब से मन में लगातार कुलबुली उठ रही थी कि ब्लॉग के लॉकडाउन का भी कुछ किया जाए. अक्सर एक दो महीने में ब्लॉग की याद तो आ ही जाती थी, इस बार लेकिन मामला कुछ ज्यादा लम्बा हो गया. जब लॉकडाउन शुरू हुआ था तब सोचा था कि ब्लॉ...

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(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); फिल्म : पटना से पाकिस्तानगायक : कल्पना दबे पांव अइह नजरिया बचा केदबे पांव अइह नजरिया बचा केकेवारी के ताला केवारी के ताला अगर बंद पइहसिकरिया बजैइह नजरिया बचा केदबे पांव अइह नजरिया बचा के (adsb...

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समकालीन साहित्यिक परिदृश्य में देशभर में साहित्य महोत्सवों की धूम मच रही है और कस्बों और मोहल्ले स्तर पर लिटरेचर फेस्टिवल हो रहे हैं। दिल्ली के द्वारका से लेकर सुदूर कोच्चि तक में उसी नाम से लिटरेचर फेस्टटिवल हो रहे हैं। कई बार तो इन लिटरेचर फेस्टिवल में इस तरह के...

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लगभग एक पखवाड़े पहले पटना में रहनेवाले हिंदी के उपन्यासकार रत्नेश्वर ने फेसबुक पर एक टिप्पणी लिखी, ‘इस समय हिन्दी के कई सुपर हिट गीत लिखने वाले मनोज मुंतशिर के साथ एक शाम। मनोज मुंतशिर ने ‘तेरी गालियां’ से लेकर ‘तेरे संग यारा’, ‘मेरे रश्के-कमर’ आदि अनेक लोकप्रिय गी...

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आज से करीब पच्चीस साल पहले की बात है। एक मित्र की शादी के सिलसिले में पटना गया था। बारात पटना के मेनका होटल में रुकी थी। शादी संपन्न होने के बाद के बाद बारात वापस घर लौट रही थी। बारात के साथ ही दूल्हा दुल्हन भी लौट रहे थे। दूल्हा-दुल्हन के साथ एक व्यक्ति गाड़...