प्रतिभा सक्सेना 237 कथांश -9. लालित्यम् फेसबुक ट्विटर गूगल 21 जुलाई 2014 10:39 अपराह्न रिपोर्ट स्पैम आंकड़े साहित्य *कल रात बहुत देर तक बैठक जमी .जिन्हें अच्छा ऑफ़र मिला ,उनमें मैं भी एक था ,लोग घेरे बैठे रहे . अभी और कंपनियाँ आनेवाली थीं देर-सवेर मिलने की आशा सबको थी.'सुबह निकलना है' - कह कर मुश्किल से जान छुड़ाई .सोचता जा रहा था - बिना... पोस्ट लेवल : धारणा उतावली परित्यक्ता आहट तन्द्रा संभ्रान्त भाड़ से