यद्यपि स्वयं का जन्म मनुष्य के वश में नहीं है न ही वह इसके लिए उत्तरदायी है लेकिन जन्म लेने के पश्चात यह जीवन और यह शरीर उसे इतना प्रिय लगने लगता है कि लाख कष्टों के बावज़ूद वह इसे जीवित रखने का भरसक प्रयास करता है । यह स्वाभाविक भी है । वह उन समस्त सुख-सुविधा...
पोस्ट लेवल : "पुनर्जन्म"

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नवगीत *पुनर्जन्म हर सुबह हो रहा पुनर्मरण हर रात। चलो बैठ पल दो पल कर लें मीत! प्रीत की बात।*गौरैयों ने खोल लिए परनापें गगन विशाल।बिजली गिरी बाज परउसका जीना हुआ मुहाल।हमलावर हो लगा रहा हैलुक-छिप कर नित घातपुनर्जन्म हर सुबह हो रहापुनर्मरण हर रात।*...

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क्यों करते होप्रेम या वितृष्णा जीवन और मृत्यु से,जियो जीवन सम्पूर्णता से हो कर निस्पृह उपलब्धियों से,रहो तैयार स्वागत कोजब भी दे दस्तक मृत्यु.रखो अपने मन को मुक्त भ्रम और संशय से,पाओगे जीवन में प्रारंभ निर्वाण का और मृत्यु में अनुभव&n...

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हालाँकि जहाँ तक आत्मा की बात है उस विषय में हमें स्पष्ट हो जाना चाहिए कि यह ही सम्पूर्ण ब्रह्मंड में फ़ैली चेतना का ही एक रूप है. गतांक से आगे ....!!! यह आत्मा इस चेतन सत्ता का ही प्रतिरूप है, दूसरे शब्दों में ऐसा भी कह सकते हैं कि यह आत्मा इस पांच तत्व परमसत्त...

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पुनर्जन्म को लेकर प्राचीन भारतीय साहित्य और पुराण कथाओं ने वैसे ही दुनियां भर में सरगर्मी फैला दी है.संभवतः इसीलिए अब यूरोप और अमेरिका जैसे नितांत आधुनिक और मशीनी देश भी पुनर्जन्म का वैज्ञानिक आधार खोजने लगे हैं.अमेरिका में वर्जीनियां विश्वविद्यालय ने तो एक परा – म...

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अंतराल जीवन और मृत्यु का क्यों होता कभी सुख दायक कभी पीड़ा से भरा, क्यों मिलता है कभी दुःखकरने पर सत्कर्म भी और जो लीन पाप कर्म मेंक्यों पाते वे सुख समृद्धि.मानता हूँ प्रभु, कर्म पर ही है मेरा अधिकार और मेरे ही कर्म होकर लिप्त आत्मा मेंकरते प्रवेश नव शरीर में पुनर्...

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मृत्यु के बाद जीवन है या नहीँ, स्वर्ग नरक है या नहीं, कर्मफल है या नहीं, पूर्वजन्म पुनर्जन्म है या नहीं और अगर है तो जन्म-मरण से मुक्ति है या नहीँ. ये प्रश्न उन्हें अधिक सालते है जो दिखावा तो सद्कर्म का करते है किंतु उनकी अंतरआत्मा में संशय बना रहता है कि इस तरह के...