छुआ जब से मुझको तूनेखिल गई हूंकली से मै फूल बनकरभ्रमर आते ढेर सारेछुप रही हूंना सताएं शूल बनकरगुनगुनाते छेड़ते कितने तरानेखुश बहुत हूंतार की झनकार बनकरमधु पराग खुश्बू ले उड़तेफिर हूं रचती अन्नपूर्णा -स्नेह घट मै कुंभ बनकरनेह निमंत्रण दे जाते कुछझांक नैनों पढ़ रही ह...
पोस्ट लेवल : "प्यार"

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--भोली चिड़ियों के लिए, लाये नये रिवाज़।चॉकलेट को चोंच में, लेकर आये बाज़।।--रंग पश्चिमी ढंग का, अपना रहा समाज।देते मीठी गोलियाँ, मित्रों को सब आज।।--मन में भेद भरा हुआ, मुख में भरा मिठास।कृत्रिम सुमनों में भला, होगी कहाँ सुवास।।--जहाँ...

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--शुरू हो रहा आज से, विश्व प्रणय सप्ताह।लेकिन मौसम कर रहा, सब अरमान तबाह।।--बारिश-कुहरे से घिरा, पूरा उत्तर देश।नहीं बना मधुमास में, बासन्ती परिवेश।।--नभ आँसू टपका रहा, सहमे रस्म-रिवाज।बहुत विलम्बित हो रहा, ऐसे में ऋतुराज।।--लौट-लौट कर आ रहा, हाड़ कँपाता शीत।मौसम न...
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तिरंगा -जय हिन्द जय भारत वन्देमातरम गणतन्त्र की पूर्व पर संध्या पर देशवासियों को जयहिंद और शुभकमनाएं एक ग़ज़ल देश के नाम -कहीं से लौट के आऊँ तुझी से प्यार रहे हवा ,ये फूल ,ये खुशबू ,यही गुबार रहे कहीं से लौट के...

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-अतुल कन्नौजवीइश्क़ ही काफ़ी है इक जान वार देने कोगुजरता वक्त है सबकुछ गुजार देने कोफरिश्ते सीढ़ियां लेकर छतों पे चढते रहेफलक से चांद सितारे उतार देने को,अजीब खेल है दुनिया बनाने वाले काजिंदगी देता है इक रोज मार देने कोसुकून दे दिया रातों की नींद भी दे दीबचा ह...

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दूरदर्शन पर कार्यक्रम का संचालन करते शायर अतुल कन्नौजवी व कार्यक्रम में शामिल अन्य शोअरा।दिल का इक ख़्वाब दिल में दबा रह गयामैं उसे उम्रभर चाहता रह गया,उसके जैसा कोई भी दिखा ही नहींजिसकी तस्वीर मैं देखता रह गया,शाम होते ही वो याद आने लगाफिर उसे रातभर सोचता रह...

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इश्क में मुझको क्या क्या बोला जाता हैबेबी बाबू सोना बोला जाता हैलाख सितारों में भी चमक उसी की हैतभी चांद को तन्हा बोला जाता हैबगैर तेरे अब तो जीना मुश्किल हैप्यार में अक्सर ऐसा बोला जाता हैइश्क जिंदगी में चाहे कितने भी करलेकिन सबको पहला बोला जाता हैसहराओं में प्यास...

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यह इस ब्लॉग की दो हजारवीं पोस्ट है. मई 2008 में ब्लॉग बनाने के बाद से लगातार लिखना हो रहा है. कभी रोज लिखा गया, एक दिन में दो-तीन पोस्ट लिखी गईं तो कभी दो-तीन दिन का अन्तराल होता रहा मगर ब्लॉग पर लिखना बंद नहीं हुआ. पिछले दो-तीन दिनों से इस दो हजारवीं पोस्टके विषय...

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समय का गुजरना सिर्फ गुजरना ही नहीं होता है बल्कि उसके साथ बहुत कुछ भी गुजर जाता है. गुजरता हुआ समय अपने गुजरने का एहसास कराता हुआ बहुत खालीपन छोड़ जाता है. इस खालीपन के साथ बहुत सारी बातें याद रह जाती हैं और बहुत सी बातें हमेशा को जुड़ी रह जाती हैं. इस समय ने ही संबं...

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--घूमते शब्द कानन में उन्मुक्त से,जान पाये नहीं प्रीत का व्याकरण।बस दिशाहीन सी चल रही लेखिनी,कण्टकाकीर्ण पथ नापते हैं चरण।।--ताल बनती नहीं, राग कैसे सजे,बेसुरे हो गये साज-संगीत हैं।ढाई-आखर बिना है अधूरी ग़ज़ल,प्यार के बिन अधूरे प्रणयगीत हैं।नेह के स्रोत सूखे हुए है...