उत्तर प्रदेश विधानसभा के चार चरणों के चुनाव संपन्न हो चुके हैं। पहले दो चरण के चुनाव पर कोरोना महामारी की छाया रही और ज्यादातर चुनाव प्रचार आभासी माध्यमों के जरिए हुए। बाद में चुनाव का पारंपरिक रंग देखने को मिला। इस चुनाव में एक नया ट्रेंड देखने का मिला वो है इंटरन...
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कोई दुःख इतना बड़ा नहीं होता...जितना मन ने बढ़ा लिया धीरे-धीरे..;पानी में पड़े तेल की बूँद की तरह..!न ही मन का ख़ालीपन इतना विस्तृत..;जिसमें समा जाए-पूरा पहाड़..!कोई अनुभूति इतनी गहरी नहीं होती कि उसके मापन के लिए असफल हो जाएँ- सारे निर्धारित मात्रक..!कोई रुदन इतना द्रा...

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कभी कभी,,,लगता हैकहीं मेरे शब्द,,न चल दें ,,समापन रेखा की ओर,,मेरी संवेदनाएं ,,मेरे विरुद्ध ,,ना खड़ी हो जाएं,,,कदाचित,,चेतना शून्य,,ना हो जाए , मेरे भाव,,तभी ।।अचानक,,हृदय पोखर में,,समय का,, कंकड़ गिरता है,,तडाक,और,,सोच की परिधि,,विशाल होती जाती है,,इक छोटी वृत से...

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अँजुरी-भर जल की आवश्यकता उन्हें होती है..; जिन्हें प्यास लगी हो..!जो जलने के अभ्यस्त हैं..;वे पानी से भी जल सकते हैं..!कविताएँ उनके लिए हैं..; जिन्हें प्रिय है-नीला रंग..!रिक्तताएँ जन्मदात्री होती हैं..; कलाओं की..! आसन्नप्रसवा वेदना से हूकता है-मन..!किसी भयावह,निर...

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एक तितली गूँजती हैफूल की पंखुड़ियों परतो रंग खिलखिलाते हैं ।चन्द्रमा गूँजता हैपृथ्वी की कक्षा में तो रोशनी मुस्कुराती हैगहरी रात में भी ।धरती के भार में गूँजता है बीजतो साँसें लय मे होकरआ जाती हैं सम पर ।समुद्र के भीतर गूँजता है अतलतो पानी का संगीत बजता है ।भो...

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उसने गैर को सदा देके बुलाया होगा।मुझे ख्वाब में ही ये ख्याल आया होगा।।जब यादों का बवन्डर छाया होगा।मन को मेरे मैने आइना बनाया होगा।।रूह बेचैन हुई होगी जब मेरे दिल की।मुट्ठी में उसको कैद करके सताया होगा।।बेतहाशा जो हुई होगी जलन सीने में।मौत को फिर रूबरू अपने पाया हो...

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बारिश की बूंदों ने सहला दिया,प्यासी धरती केतन को,नम होकर,बूंदे जब समा गई,धरती के आगोश में,अंकुरो की कुलबुलाहट से,माटी हुवी बैचेन,फाड़ धरती का सीना,वो नन्हा अंकुर, निकल आया बाहर,मगर कुछ लोग,खड़े थे,हाथों में फवाड़े,दिमाग में शोर मचाते,वो भेड़िए नुमा शक्ल...

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कोरोना वायरस से उपजे संकट के समय को साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में सोशल मीडिया लाइव के दौर के रूप में भी चिह्नित किया जा सकता है. हिंदी रंगमंच की दुनिया में भी इन दिनों लाइव का सिलसिला चल रहा है. संस्थानों और व्यक्तिगत प्लेटफॉर्म पर रंगकर्मी लाइव के जरिए अपनी...

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सब की बोलती बंद है इन दिनों,वक़्त बोल रहा है ..बड़ी ही ख़ामोशी सेकोई बहस नहीं,ना ही कोई,सुनवाई होती हैएक इशारा होता हैऔर पूरी क़ायनात उस परअमल करती है!!!…सब तैयार हैं कमर कसकर,बादल, बिजली, बरखाके साथ कुछ ऐसे वायरस भीजिनका इलाज़,सिर्फ़ सतर्कता हैजाने किस घड़ीकरादे, वक़्त ये...

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पानी सी होती हैं स्त्रियाँहर खाली स्थान बड़ी सरलता सेअपने वजूद से भर देती हैंबगैर किसी आडंबर केबगैर किसी अतिरंजना के..आश्चर्य येकि जिस रंग का अभाव हो उसी रंग में रंग जाती हैं ..जाड़े में धूप ..उमस में चांदनी ..आँसुओं में बादल..उदासी में धनक..छोटी बहन को एक भाई क...