न लालच, गुस्सा न शिकायत एक समभाव वाला जीव वहभारी मेहनत करने के बाद भीरूखा, सूखा खाकर खुश रहता है दुनिया भर का अत्याचार सहता है जुग-जुग से लोगों की सेवा करता है भला करके भी बुरा बनता है संत ऋषि विद्वानों से कम नहीं वहतभी तो ज्ञानी ध्या...
पोस्ट लेवल : "बाप"

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दो तीन साल पहले की बात है, दिल्ली में एक साहित्यिक समारोह में दास्तानगोई सुनने का अवसर मिला था। दो नामी दास्तानगो मंच पर थे। दोनों ने सफेद अंगरखा और सफेद टोपी पहनी हुई थी। सामने कटोरे में पानी रखा था। उनमें से एक विवादों के भंवर से मुक्त होकर आए थे। दास्तानगोई आरंभ...

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आज मैं जो कुछ भी हूँ अपने पिताजी के कारण हूँ इज़्ज़त की शान की ज़िन्दगी दी |
आज फादर्स डे है और जिनके पिता नहीं रहे उन्हें भी अपने बाप को याद करते देखा गया है क्यूंकि किसी के जाने के बाद उसकी अहमियत समझ में ज़्यादा अच्छे से आती है | ...

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रेल-पटरी के ऊपर वर्षों पहले बने जर्जर ज़ंग लगे लोहे के पुल से गुज़रते हुएचिंतनीय सवाल मुनिया ने बापू से पूछा-"एक दिन यह पुल गिर जाएगा न जाने दिन का होगा कौनसा पहर चुपचाप अकेला गिरेगा या बरपाएगा गुज़रते लोगों पर क़हर?फिर...
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एक गीत -बापू ! रहे हिमालयबापू रहेहिमालय ,उनकादर्शन गोमुख धारा है ।यह जलतीमशाल जैसा हैजहाँ-जहाँ अँधियारा है ।रंगभेद केप्रबल विरोधीगिरमिटिया कहलाते थे,चरखा-खादीलिए साथ मेंरघुपति राघव गाते थे,सत्य अहिंसामन्त्र उन्ही कामानवता का नारा है ।छुआछूतअभिशाप बतातेरहे स्वदेशी क...

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आज महात्मा गाँधी की 150वीं जयन्ती है। आज फिर से वह गीत याद आ रहा है जिसे सुन-सुनकर मैं बड़ी हुई हूँ। - ''सुनो-सुनो ऐ दुनिया वालों बापू की ये अमर कहानी, वो बापू जो पूज्य है इतना जितना गंगा माँ का पानी...।'' मोहम्मद रफ़ी साहब द्वारा गया हुआ यह गीत अब भी मेरी कानों...

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बापू जी का जन्मदिन, देता है सन्देश।रहे नहीं इस देश में, अब दूषित परिवेश।।--साफ-सफाई पर रहे, लोगों का जब ध्यान। तब होगा संसार में, अपना देश महान।।--नहीं पनपना चाहिए, छुआ-छूत का बीज।सभी मनायें प्यार से, ईद-दिवाली तीज।।--हर दफतर में हैं टँगा, गाँधी जी का चित्र।ले...

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दोहा सलिला:गाँधी के इस देश में...संजीव 'सलिल'गाँधी के इस देश में, गाँधी की जयकार.सत्ता पकड़े गोडसे, रोज कर रहा यार..गाँधी के इस देश में, गाँधी की सरकार.हाय गोडसे बन गया, है उसका सरदार..गाँधी के इस देश में, गाँधी की है मौत.सत्य अहिंसा सिसकती, हुआ स्वदेशी फौत..गाँधी...

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देखते ही देखते जवान,पिताजी बूढ़े हो जाते हैं..सुबह की सैर में,कभी चक्कर खा जाते हैं,सारे मौहल्ले को पता है,पर हमसे छुपाते हैं...दिन प्रतिदिन अपनी,खुराक घटाते हैं,और तबियत ठीक होने की,बात फ़ोन पे बताते हैं...ढ़ीले हो गए कपड़ों,को टाइट करवाते हैं,देखते ही देखते जवान,&n...

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तुम बाप कहलाने के लायक नहीं होबेटियों का सरेआम कत्ल करवाने वालेऔर कल्चर का नाम लेकर उसे प्रताड़ित करने वालेतुम बाप कहलाने के लायक नहीं होतुम्हें शर्म आती है, बेटी का मर्जी से किसी के साथ रहने परतुम्हें नफरत है उससे, उसको कहीं खुलेआम घूम लेने सेउसे हर वक़्त कहीं पर कि...