(धुन- हम तो ठहरे परदेशी)(212 1222)×2आँख के नशे में जब, वो हमें डुबाते हैं।एक बार डूबें तो, डूबते ही जाते हैं।।जो न इसमें डूबे हैं, पूछते हैं वो हम से;आँख का नशा क्या है, हम उन्हें बताते हैं।आँख के नशे में जब, वो हमें डुबाते हैं।।झील सी ये गहरी हैं, मय से ये लबालब भ...
पोस्ट लेवल : "बासुदेव अग्रवाल"

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सारी पहने लहरिया, घर से निकली नार।रीत रिवाजों में फँसी, लम्बा घूँघट डार।लम्बा घूँघट डार, फोन यह कर में धारे।शामत उसकी आय, हाथ इज्जत पर डारे।अबला इसे न जान, लाज की खुद रखवारी।कर देती झट दूर, अकड़ चप्पल से सारी।।बासुदेव अग्रवाल 'नमन'तिनसुकिया19-5-17

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मोबॉयल से मिट गये, बड़ों बड़ों के खेल।नौकर, सेठ, मुनीमजी, इसके आगे फेल।इसके आगे फेल, काम झट से निपटाता।मुख को लखते लोग, मार बाजी ये जाता।निकट समस्या देख, करो नम्बर को डॉयल।सौ झंझट इक साथ, दूर करता मोबॉयल।।मोबॉयल में गुण कई, सदा राखिए संग।नूतन मॉडल हाथ में, देख लोग हो...

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कुंडलियाँ दोहा और रोला के संयोग से बना छंद है। इस छंद के ६ चरण होते हैं तथा प्रत्येक चरण में २४ मात्राएँ होती है। इसे यूँ भी कह सकते हैं कि कुंडलियाँ के पहले दो चरण दोहा के तथा शेष चार चरण रोला से बने होते हैं।दोहा के प्रथम एवं तृतीय पद में १३-१३ मात्राएँ तथा दूसरे...

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बह्र:- 1222 1222 122हमारे मन में ये व्रत धार लेंगे,भुला नफ़रत सभी को प्यार देंगे।रहेंगे जीते हम झूठी अना में,भले ही घूँट कड़वे हम पियेंगे।इसी उम्मीद में हैं जी रहे अब,कभी तो आसमाँ हम भी छुयेंगे।रे मन परवाह जग की छोड़ करना,भले तुझको दिखाएँ लोग ठेंगे।रहो बार...

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बह्र:- 1222 1222 122तिजारत हुक्मरानी हो गई है,कहीं गुम शादमानी हो गई है।न गांधी शास्त्री से अब हैं रहबर,शहादत उनकी फ़ानी हो गई है।कहाँ ढूँढूँ तुझे ओ नेक नियत,तेरी गायब निशानी हो गई है।तेरा तो हुश्न ही दुश्मन है नारी,कठिन इज्जत बचानी हो गई है।लगी जब बोलने...

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बह्र:- 1222 1222 122क्या चुप रहना शराफ़त है? नहीं तो,जुबाँ खोलें? इजाजत है? नहीं तो।करें हासिल अगर हक़ लड़के अपना,तो ये लड़ना अदावत है? नहीं तो।बड़े मासूम बन वादों से मुकरो,कोई ये भी सियासत है? नहीं तो।दिखाए आँख हाथी को जो चूहा,भला उसकी ये हिम्मत...

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(असबंधा छंद)भाषा हिंदी गौरव बड़पन की दाता।देवी-भाषा संस्कृत मृदु इसकी माता॥हिंदी प्यारी पावन शतदल वृन्दा सी।साजे हिंदी विश्व पटल पर चन्दा सी॥हिंदी भावों की मधुरिम परिभाषा है।ये जाये आगे बस यह अभिलाषा है॥त्यागें अंग्रेजी यह समझ बिमारी है।ओजस्वी भाषा खुद जब कि हमारी ह...

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(पदांत 'मिलती', समांत 'ओ' स्वर)मिलती पथ में कुछ पड़ी, वस्तु करें स्वीकार,समझ इसे अधिकार, दबा लेते जो मिलती।।अनायास कुछ प्राप्ति का, लिखा राशि में योग,बंदे कर उपभोग, भाग्य वालों को मिलती।।जन्मांतर के पुण्य सब, लगे साथ में जागे,इस कारण से आज ये, आई आँखों आगे।देने वाले...

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2*8 (मात्रिक बहर)(पदांत 'कर डाला', समांत 'आ' स्वर)यहाँ चीन की आ बेटी ने,सबको मतवाला कर डाला।बच्चा, बूढ़ा या जवान हो,कद्रदान अपना कर डाला।।होता लख के चहरा तेरा,तेरे आशिक जन का' सवेरा।जब तक शम्मा सी ना आये,तड़पत परवाना कर डाला।।लब से गर्म गर्म ना लगती,आँखों से न खुमारी...