भटके हुये दिलों के प्रेमीआत्म मंजिल तकनहीं पहुंचते हैं... फिर गलत इंसान सेधोखा खाकरसही इंसानसे बदला लेते हैं......घर की तकलीफ़ें.चौराहे पर उड़ेलकरघर को मकांकर लेते हैं.... जीवन में हम इंसासिर्फ़ सुख के लिएबिखरते हैं... मेरे युवा भाई-बहनोंमाता-पिता पर...