ब्लॉगसेतु

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
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  हाल ही में ऋषभ देव शर्मा जी की कविता ‘औरतें औरतें नहीं हैं’ ब्लॉगजगत में चर्चा का केन्द्र बनी। इसे मैने सर्व प्रथम ‘हिन्दी भारत’ समूह पर पढ़ा था। बाद में डॉ.कविता वाचक्नवी ने इसे चिठ्ठा चर्चा पर अपनी पसन्द के रूप में प्रस्तुत किया। अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस...
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
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  मैं यहाँ प्रयाग में बैठा तो हूँ लेकिन संजय की तरह अपने गाँव की रंग बिरंगी होली को ठीक-ठीक देख पा रहा हूँ। जैसा कि मैने कल पिछली कड़ी में बताया था आधी रात के बाद होलिका दहन फाग और जोगीरा के गलाफाड़ प्रदर्शन के बीच सम्पन्न हो चुका होगा। सुबह-सुबह घर के बच्चे स...
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
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पिछला पूरा सप्ताह ब्लॉगरी से जुदा होकर त्रिवेणी महोत्सव की धूम में खो जाने वाला रहा। रात में दो-ढाई  से चार बजे तक रंगारग कार्यक्रमों का आनन्द उठाने के बाद घर लौटता, सुबह यथासम्भव जल्दी उठकर बैडमिण्टन कोर्ट जाता, लौटकर नहा-धो तैयार होकर ऑफिस जाता, दिनभर ऊँघते...
girish billore
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सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
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  माघ की पूर्णिमा का स्नान सम्पन्न होने के बाद प्रयाग का माघ मेला अपने अवसान पर पहुँच गया है। कल्पवासी भी संगम क्षेत्र का प्रवास पूरा करके अपने घर की राह पकड़ रहे हैं। साइबेरिया से आने वाले प्रवासी पक्षी भी ठंडक समाप्त होने के बाद अपने देश को लौटने वाले हैं।...
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
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  यह बात तो मुझे भी खटकती रही है। जब भी मैने किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि को गुलदस्ता भेंट करने के लिए किसी स्त्री-पात्र की ‘खोज’ करते आयोजकों को देखा तो मन खिन्न हो गया। क्या गुलदस्ता पेश करने का आइटम इतना जरूरी है कि मुख्य कार्यक्रम का समय काटक...
girish billore
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 पोस्ट लेवल : जबलपुर ब्लॉगर'स मीट
girish billore
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"उडन तश्तरी "की सदारत में ब्लागर्स मीट 19 जनवरी 2009 को ब्लागर्स-मीट विद डिनर एट 08:15 की तैयारी में हैं . मीट शुद्ध शाकाहारी भोजनालय रूपाली इन जबलपुर में आयोजित है , जो भी भाई ब्लॉगर हैं सादर आमंत्रित हैं समय का विशेष ध्यान रखा जावे रात्रि 08:15 से होटल बंद होने क...
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
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[आज की पोस्ट श्रीमती रचना त्रिपाठी की ओर से जिनके साहचर्य का सौभाग्य मुझे मिला है]  काश हमें भी छुट्टी मिलती...! छुट्टी किसे प्यारी नहीं होती है? बच्चे तो बच्चे, बड़े भी रविवार की खुशी शनिवार की शाम ढलने से पहले ही मनाने लगते हैं। सप्ताहान्त का मूड रोज से अलग...
girish billore
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