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पोस्ट लेवल : "ब्लॉगर"

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आम बोलचाल की भाषा में गालियों के प्रयोग के बहाने एक चर्चा चोखेर बाली पर छिड़ी। दीप्ति ने लूज शंटिंग नामक ब्लॉग पर दिल्ली के माहौल में तैरती गालियों को लक्ष्य करके एक पोस्ट लिखी थी। इसपर किसी की मौज लेती प्रतिक्रिया पर सुजाता जी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि,...

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नवम्बर का अन्त कुछ ऐसे हुआ कि महीने भर सहेज कर रखे गये बुजुर्ग पेन्शनर्स के कुछ दुर्लभ और रोचक चित्र यहाँ पोस्ट करने का मौका ही नहीं मिला। दिसम्बर का प्रारम्भ भी नवम्बर के आखिरी सप्ताह के काले अन्त की छाया से दुष्प्रभावित रहा। मैने इस विपरीत काल के संकट को इतना व्य...

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ॐ शान्तिः। कोई शब्द नहीं हैं...। बस...। अब बहुत हो चुका...।

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“अजी सुनती हो।”“हाँ जी, बोलिए!”“लगता है, आज भी कुछ पोस्ट नहीं कर पाउंगा।”“तो …!?”“तो…, ये कि मेरी गिनती एक आलसी, और अनियमित ब्लॉगर में होनी तय है…।”“क्यों? आप क्या खाली बैठे रहते हैं?”“नहीं ये बात नहीं है… लेकिन ब्लॉग मण्डली को इससे क्या? उसे तो हमारी हाजिरी चाहिए...

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जागते रही समस्याओं से भागते रही
ब्लाग पे ब्लॉग लादते रहिये
जी हाँ अपने बलाग पे टिप्पणियों
की आमदनी की चिंता छोड़
दूजों के ब्लॉग पे टिप्पणी दागते रहिए
आपके ब्लॉग पे टिप्पणी ऐसे ही आएंगी
आपके ब्लॉग की गरिमा बढाएगी
आपके ब्लॉग को विश्व भर में ले जाएँगी .
आभास दुनिया के...

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मुझे आज वर्ष १९९९ में हुई अपनी शादी के बाद का अगला दिन याद आ गया, जब मैं ससुराल के आँगन में बैठा हुआ अपनी पत्नी की सहेलियों से घिरकर औपचारिक और अनौपचारिक परिचय के दौर को झेल रहा था। साले-सालियों और घर के अन्य सदस्यों से परिचय का दौर बीत चुका था। चुटकुलों और गीतों क...

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मेरा बेटा ‘सत्यार्थ’ नाटक की तैयारी में [??:)]घर खाली है निपट अकेले पड़े हुए है।बीबी-बच्चे गाँव गये हैं, अड़े हुए हैं॥मस्त रहा ब्लॉगिंग में, सबने करली कुट्टी।विकट नतीजे लेकर आयी मेरी छुट्टी॥बिटिया ने जब छुट्टी का सन्देश सुनाया।नानी के घर जाने का अरमान बताया॥मैने सोच...

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(चित्र wordpress.com से साभार)ब्लॉगर महोदय पुस्तकालय गये, जाने कैसे किताबों की बात-चीत सुन ली; और झेंप मिटाने के लिए कुछ पुराने पृष्ठों को पलटना शुरू किया। लेकिन यह पन्ने पलटना भी बड़ा काम का साबित हुआ। बल्कि यूँ कहें कि इन्हें खजाना हाथ लग गया।वहाँ सरस्वती से मुलाक...